खेल प्रशिक्षकों की भारी कमी बनी चिंता का विषय, संसदीय स्थायी समिति ने की सिफारिश

संसदीय स्थायी समिति ने देश में खेल प्रशिक्षकों की भारी कमी पर गंभीर चिंता जताई है. खिलाड़ियों को शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए समिति ने आवासीय स्पोर्ट्स स्कूल खोलने की सिफारिश की है, जिससे ज्यादातर खिलाड़ी वंचित रह जाते हैं. हाल के वर्षो में अपने खेलों में सफलता प्राप्त करने वाले खिलाडि़यों के पीछे उनकी व्यक्तिगत पहल और प्राइवेट प्रशिक्षक रहे हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राज्यसभा में बृहस्पतिवार को मानव संसाधन मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने 'खेलो इंडिया' योजना पर अपनी रिपोर्ट पेश की. सत्यनारायण जटिया की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यों की समिति ने विस्तार से खेलों में किये जा रहे प्रयासों को नाकाफी बताया है. समिति ने वैश्विक स्तर पर घरेलू खिलाडि़यों की धमक बनाने के उपाय भी सुझाये हैं.

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इस मामले को लेकर जटिया की अध्यक्षता वाली समिति ने पाया कि देश में खेलों के लिए बुनियादी सुविधाएं बहुत संतोषजनक नहीं हैं. इसके लिए प्राइवेट सेक्टर को खेल इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में प्रोत्साहित करने की समिति ने सिफारिश की है. समिति का कहना है कि खेल संस्कृति को बढ़ावा देने और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र काफी मुफीद साबित हो सकता है.खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए पब्लिक-प्राइवेटपार्टनरशिप मॉडल को अपनाना होगा. खेल क्षेत्र में क्वालिटी को बढ़ाने, बेहतर प्रशिक्षण और हुनरमंद खिलाडि़यों की तलाश के लिए प्राइवेट स्पोर्टस एकेडमी को दायित्व सौंपना होगा.

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