पुलिस का मानवीय चेहरा: थाना प्रभारी ने दिखाई दरियादिली

संजय वाणी/ अलीराजपुर: पुलिस विभाग पर हमेशा आरोप लगते रहे हैं, लेकिन कानून का पालन करवाने में जहां पुलिस को थोड़ा सख्त होना पड़ता है तो वही समझाइश, उत्साहवर्धन और सेवा कार्यों के माध्यम से पुलिस जनता की मित्र बनकर उभरती है। अलीराजपुर के जोबट थाना प्रभारी का मानवीय चेहरा सामने आया है। थाना प्रभारी दिनेश सोलंकी जब नगर भ्रमण पर निकले तो उन्हे कुछ छोटे बच्चे नंगे पांव दिखाई दिए, जिन्हें देखकर उनका दिल पसीज गया और उनसे रहा नहीं गया। वे उन बच्चों को लेकर चप्पल-जूतों की दुकान पर गए और उनके नंगे पांवो में चप्पल पहनाई। 

सोलंकी यहीं नहीं रुके उन्होंने ने बच्चों को स्कूल चले हम अभियान के तहत स्कूल जानें की समझाईस भी दी और पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया साथ ही माता-पिता से उन्हे स्कूल भेजने के लिए कहने को भी कहां। बता दें कि जहां कुछ जगहों पर पुलिस के बुरे बर्ताव को लेकर उसकी आलोचना होती रहती है, वहीं कुछ जगहों पर उसका बहुत मानवीय चेहरा भी देखने में आता है। जोबट थाना प्रभारी की इस दरियादिली की जहां तारीफ़ हो रही है तो वहीं इससे पुलिस का वह मानवीय चेहरा सामने आया, जिसकी वर्षों से अपेक्षा की जा रही है। शीर्ष स्तर पर अधिकारी बार-बार कहते हैं कि पुलिस को फ्रेंडली होना चाहिए, लेकिन यह रूप शायद ही नजर आता है। जब कभी ऐसा दृष्टांत मिलता है तो उसकी सराहना की जाती है। पुलिस वालों की क्रूरता की कहानियां कुछ अधिक ही प्रचलित हैं, जबकि यह समझना ही होगा कि वे भी इसी समाज के सदस्य हैं और उनका भी दिल धड़कता है। 

कुछ तो पेशागत मजबूरियों की वजह से और कुछ स्वार्थवश अपने कार्य-व्यवहार में बदलाव लाते हैं। सुधार की जरूरत बस यही है। चूंकि पुलिस वालों का ज्यादातर सामना किसी न किसी किस्म के अपराधी से ही पड़ता है, इसलिए भी उनका व्यवहार रूखा होता है। अपराधियों से जब वे सख्ती बरतते हैं तो समाज वाले भी बुरा नहीं मानते। धीरे-धीरे उनकी यही आदत पड़ जाती है और फिर वे अपराधी और सभ्य तथा जरूरतमंद व्यक्ति में फर्क नहीं कर पाते। वक्त के साथ समाज की जरूरतें बदली हैं। इसी कारण पुलिस के मानवीय चेहरे पर भी जोर दिया जा रहा है। पर यहां हमे भी समझना होगा कि पुलिस कर्मी भी हमारे समाज से ही आते हैं और हमे पुलिस भी वैसी ही मिलेगी जैसा समाज होगा।

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