आज जरूर करें मां चंद्रघंटा की यह आरती और पढ़े यह कथा

आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है। ऐसे में आज के दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) का पूजन किया जाता है। कहा जाता है मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं। वहीँ माता का शरीर सोने के समान चमकता है और उनकी 10 भुजाएं है। उनकी चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार,और कमंडल है वहीं, पांचवा हाथ वर मुद्रा में है। वहीँ, मां की अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं मां चंद्रघंटा की आरती और कथा।

मां चंद्रघंटा की आरती- जय मां चंद्रघंटा सुख धाम पूर्ण कीजो मेरे काम चंद्र समान तू शीतल दाती चंद्र तेज किरणों में समाती क्रोध को शांत बनाने वाली मीठे बोल सिखाने वाली मन की मालक मन भाती हो चंद्र घंटा तुम वरदाती हो सुंदर भाव को लाने वाली हर संकट मे बचाने वाली हर बुधवार जो तुझे ध्याये श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय मूर्ति चंद्र आकार बनाएं सन्मुख घी की ज्योत जलाएं शीश झुका कहे मन की बाता पूर्ण आस करो जगदाता कांची पुर स्थान तुम्हारा करनाटिका में मान तुम्हारा नाम तेरा रटू महारानी 'भक्त' की रक्षा करो भवानी

मां चंद्रघंटा की कथा- प्रचलित कथा के मुताबिक, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था। महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था। वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुन क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली। उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं। उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर तका वध कर देवताओं की रक्षा की।

आज है नवरात्र का तीसरा दिन, इस विधि और मंत्र से करें मां चंद्रघंटा का पूजन

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी नहीं मिल रहा लाभ तो करें ये छोटा सा उपाय

नहीं कर पा रहे दुर्गा सप्तशती का पाठ तो माँ की कृपा पाने के लिए पढ़े ये

Related News