अधिक तेज़ आवाज़ से बच्चों की याददाश्त पर होता है असर

बच्चों के अंग बहुत ही नाजुक होते हैं. थोड़ी सी गलत उन पर गलत डाल देती है. आप जानते हैं कुछ बच्चे तेजी से सीखते हैं तो कुछ बच्चों की सीखने की क्षमता धीमी होती है. इसके पीछे कई बार कुदतरी कारण हो सकते हैं. कई बार घर का माहौल भी इसका कारण बनता है. तेज आवाज से सीखने में अड़चन का एहसास होता है जो धीरे धीरे उनके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है. निश्चित रूप से ऐसी स्थिति से निपटने के लिए शोर कम किया जाना चाहिए. आज हम आपको इससे निबटने की टिप्स देने जा रहे हैं.

* एकाग्र क्षमता: शोर से बच्चों की स्मार्टनेस में कमी आती है. शांत माहौल में पढ़ने से ध्यान केंद्रित रहता है.

* याद्दाश्त: शोर में पढ़ने से कुछ याद नहीं होता. इतना ही नहीं शोर में सीखी हुई चीजें या कही हुई बातें लम्बे समय तक याद भी नहीं रहती.

* परिणाम: शोर के कारण एकाग्र क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है. अतः हमें यह भी आंकलन करना चाहिए कि अकसर शोर में पढ़ने वाले बच्चों का परिणाम भी बुरा ही होता है.

* स्वास्थ्य पर असर: शोरगुल हमेशा हमारे शरीर पर नकारात्मक असर छोड़ता है. शोर हमारे हृदय गति को बढ़ाता है. इतना ही नहीं कोर्टिसोल के स्तर पर को भी प्रभावित करता है.

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