'अपने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए प्रभु श्री राम ने ही नरेंद्र मोदी को चुना', प्राण प्रतिष्ठा से पहले बोले आडवाणी

नई दिल्ली: राम मंदिर को जनआंदोलन में बदलने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि रथयात्रा के वक़्त उन्हें अहसास हो गया था कि नियति ने तय कर दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा। उन्होंने स्वयं को सारथी बताया। इसके साथ ही राममंदिर के सुख क्षण लाने के उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई भी दी। 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आडवाणी भी उपस्थित रहेंगे। 

बताते चलें कि लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से अपनी ‘रथयात्रा’ का आरम्भ किया था। इस रथयात्रा के संयोजक उस वक़्त नरेंद्र मोदी थे। यह यात्रा 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के साथ समाप्त हुई थी। कहा जाता है कि जब विवादित ढाँचा टूटा था, उस वक़्त लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या में ही थे। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मंदिर सभी भारतीयों को प्रभु श्री राम के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा, “उस वक़्त (सितंबर 1990 में यात्रा आरम्भ होने के कुछ दिन बाद) मुझे लगा कि नियति ने तय कर लिया है कि एक दिन अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बनाया जाएगा… अब यह सिर्फ वक़्त की बात है।”

लालकृष्ण आडवाणी ने आगे कहा, “और, ‘रथयात्रा’ शुरू होने के कुछ कुछ दिनों पश्चात् मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। मुख्य संदेश यात्रा ही थी… वह ‘रथ’ पूजा के योग्य था, क्योंकि यह प्रभु श्री राम के जन्मस्थान पर जा रहा था।” उन्होंने रथयात्रा को अपने राजनीतिक करियर की सबसे निर्णायक एवं परिवर्तनकारी घटना बताया। आडवाणी ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि यह रथयात्रा जनआंदोलन का रूप ले लेगी। इसे ‘खुद को खोजने’ का एक अवसर बताते हुए उन्होंने कहा, “यात्रा के चलते, कई अनुभव हुए जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया। दूरदराज के गाँवों से ग्रामीण मेरे पास आते थे, रथ देखकर भावना से अभिभूत होते थे। वे नमस्कार करते थे। ‘राम’ का जाप करते थे और चले जाते थे। यह एक संदेश था।”

पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई देते हुए आडवाणी ने कहा कि कहा कि प्रभु श्री राम ने अपने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए नरेंद्र मोदी के रूप में अपना भक्त चुना, जिनकी देखरेख में मंदिर की इमारत बन रही है। उन्होंने कहा, “अब जब प्रधानमंत्री मोदी मंदिर का अभिषेक करेंगे तो वह भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करेंगे।” 

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