जानिए जैनधर्म के महान तीर्थंकरों और उनके निर्वाण के बारे में

भारत को सर्वधर्मों का घौतक माना जाता है. भारत में जैन धर्म को श्रमण परम्परा से निकला प्राचीन धर्म और दर्शन के रूप में जाना जाता है . जैन का अर्थ होता है कर्मों का नाश करनेवाले 'जिन भगवान' के अनुयायी. जैन धर्म कि शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि ग्रन्थानुसार धर्म वस्तु का स्वभाव समझाता है, इसलिए जब से सृष्टि है तब से धर्म है, और जब तक सृष्टि है, तब तक धर्म रहेगा, अर्थात् जैन धर्म सदा से अस्तित्व में था और सदा रहेगा. आइये जानते है जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के बारे में 

जैन धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में श्रीसम्मेद शिखरजी, अयोध्या, कैलाश पर्वत, वाराणसी, कुंडलपुर, पावापुरी, गिरनार पर्वत, चंपापुरी, श्रवणबेलगोला, बावनगजा, चांदखेड़ी और पालिताणा आदि प्रमुख तीर्थ है.जैन धर्म के निर्माण में तीर्थंकर महावीर स्वामी ने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य आदि. 

1  ऋषभदेव 2 अजितनाथ 3  सम्भवनाथ 4 अभिनन्दन नाथ 5 सुमितनाथ 6 पदम् प्रभु 7 सुपार्श्वनाथ 8 चन्द्र प्रभु 9 सुविधिनाथ 10 शीतलनाथ 11 श्रेयांसनाथ 12 पूज्यनाथ 13 विमलनाथ 14  अनन्तनाथ 15 धर्मनाथ 16 शान्तिनाथ 17 कुन्थुनाथ 18 अरनाथ 19 मल्लिनाथ 20 मुनिसुव्रत 21 नेमिनाथ 22 अरिष्टनेमि 23 पार्श्वनाथ 24 महावीर स्वामी .

भगवान महावीर के उपदेशों के द्वारा जानें जैन धर्म को

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