जानिए क्यों WhatsApp ने देश के 500 गांवों को गोद लेने का किया एलान

WhatsApp ने अपने पायलट प्रोग्राम के अंतर्गत महाराष्ट्र और कर्नाटक के 500 गांवों को गोद लेने की घोषणा की है. Meta (फेसबुक) के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp ने बुधवार  को घोष्णा की है कि वह ग्रामीण स्मार्टफोन यूजर्स को डिजिटल भुगतान प्रणाली से परिचित कराने का पहल करने वाला है. कंपनी ने बोला है कि उसका पायलट प्रोग्राम डिजिटल पेमेंट्स उत्सव कर्नाटक और महाराष्ट्र के 500 गांवों को कवर करने वाला है. मैसेजिंग ऐप का लक्ष्य है कि इन गांवों के यूजर्स को WhatsApp Pay के माध्यम डिजिटल भुगतान तक पहुंच उपलब्‍ध की जाने वाली है. इतना ही नहीं भारत में मेटा का वार्षिक कार्यक्रम उसके ऐप्स के माध्यम सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन और समाज पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है.

क्या है इस प्रोग्राम का मकसद?: WhatsApp कंपनी का बोलना है कि इस प्रोग्राम का मकसद जमीनी स्तर पर डिजिटल रूप से किए गए पेमेंट सिस्टम में व्यवहारिक परिवर्तन लाना है. भारत के WhatsApp Pay प्रमुख अभिजीत बोस ने बोला है कि, ‘हम प्रतिबद्ध हैं कि WhatsApp Pay के माध्यम वित्तीय समावेशन में तेजी लाने में  सहायता कर सकें. हमने महाराष्ट्र और कर्नाटक के 500 गांवों को पायलट प्रोग्राम में शामिल कर दिया है. हमारा लक्ष्य अगले 50 करोड़ डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ने का है.’

ग्रामीणों को अब तक क्‍या-क्‍या सिखाया?: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार Meta की मैसेजिंग कंपनी ने बोला है  कि गांव में किराने की दुकान से लेकर ब्यूटी-पार्लर तक सभी छोटे व मध्यम व्यवसाय अब ‘WhatsApp Pay’ का उपयोग करके डिजिटल पेमेंट भी कर पाएंगे. डिजिटल पेमेंट्स उत्सव पायलट कार्यक्रम की शुरुआत 15 अक्टूबर को कर्नाटक के मांड्या जिले में क्याथनाहल्ली गांव से की जा चुकी है. इतना ही नहीं  इस गांव के लोगों को डिजिटल पेमेंट के बारे में विस्‍तार से कहा गया है. उन्‍हें सिखाया गया कि UPI के लिए साइन-अप कैसे करें, UPI अकाउंट कैसे बनाएं और डिजिटल भुगतान के दौरान कैसी सावधानियां बरतें.

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