पिछले भाग में हमने आपको शिव जी के 19 अवतारों में से सातवे अवतार के बारे में बताया था .आज हम आपको शिवजी के आठवे अवतार के बारे में बताने जा रहे है . भगवान शंकर के विभिन्न अवतारों में ऋषि दुर्वासा का अवतार भी प्रमुख है.धर्म ग्रंथों के अनुसार सती अनुसूइया के पति महर्षि अत्रि ने ब्रह्मा के निर्देशानुसार पत्नी सहित ऋक्षकुल पर्वत पर पुत्रकामना से घोर तप किया. उनके तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों उनके आश्रम पर आए. उन्होंने कहा- हमारे अंश से तुम्हारे तीन पुत्र होंगे, जो त्रिलोकी में विख्यात तथा माता-पिता का यश बढ़ाने वाले होंगे. समय आने पर ब्रह्माजी के अंश से चंद्रमा उत्पन्न हुए. विष्णु के अंश से श्रेष्ठ संन्यास पद्धति को प्रचलित करने वाले दत्तात्रेय उत्पन्न हुए और रुद्र के अंश से मुनिवर दुर्वासा ने जन्म लिया. अगले भाग में हम शिव जी के नौवे अवतार के बारे में बतायेगे - माँ दुर्गा का रूप है ये औषधियां