करिश्मा कपूर, जिन्हें प्यार से "लोलो" के नाम से जाना जाता है, ने बॉलीवुड पर एक अमिट प्रभाव डाला है, खासकर 90 के दशक के दौरान। इस दशक के दौरान उनकी भूमिकाओं ने करिश्माई प्रदर्शन, बेजोड़ नृत्य कौशल और आश्चर्यजनक फैशन स्टेटमेंट का मिश्रण दिखाया। लेकिन करिश्मा कपूर कौन हैं? और 90 के दशक में उन्होंने हिंदी सिनेमा को कैसे प्रभावित किया? चलो अंदर गोता लगाते हैं। प्रारंभिक जीवन और बॉलीवुड में प्रवेश भारतीय सिनेमा के पहले परिवार के रूप में जाने जाने वाले दिग्गज कपूर परिवार में जन्मी करिश्मा कपूर ने कम उम्र में अपनी बॉलीवुड यात्रा शुरू की। फिल्म इंडस्ट्री में बैकग्राउंड होने के बावजूद करिश्मा कपूर को बॉलीवुड में अपनी अलग जगह बनानी पड़ी। करिश्मा का करियर विकास 1991 में अपनी पहली फिल्म 'प्रेम कैदी' से करिश्मा एक होनहार प्रतिभा के रूप में उभरीं। 90 के दशक की महत्वपूर्ण फिल्में करिश्मा ने 90 के दशक के दौरान बॉक्स ऑफिस पर कई हिट फिल्में दीं, जिनमें 'राजा हिंदुस्तानी', 'दिल तो पागल है' और 'बीवी नंबर 1' जैसी फिल्में शामिल हैं। पुरस्कार और मान्यताएं उनके प्रदर्शन ने उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त किए, जैसे कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार, उनकी प्रतिभा और बहुमुखी प्रतिभा की पुष्टि करते हुए। 90 के दशक के बॉलीवुड और करिश्मा का प्रभाव करिश्मा कपूर ने अपनी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति और ऑफ-स्क्रीन व्यक्तित्व के साथ बॉलीवुड के 90 के दशक के युग को प्रभावित किया। महिलाओं के नेतृत्व वाली फिल्मों के पुनरुद्धार में भूमिका उन्होंने महिला नायक के महत्व को सामने लाया, इस प्रकार महिला-केंद्रित फिल्मों के युग की शुरुआत की। प्रमुख फिल्में 'जुबैदा' और 'फिजा' जैसी फिल्मों में करिश्मा ने एक गंभीर अभिनेत्री के रूप में अपनी क्षमता साबित की और चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं को शिष्टता और संवेदनशीलता के साथ निभाया। 90 के दशक के फैशन आइकन अपने अभिनय कौशल के अलावा, करिश्मा 90 के दशक में एक ट्रेंडसेटर भी थीं, जिन्होंने फैशन ट्रेंड स्थापित किया जो आज भी पूजनीय हैं। ट्रेंडसेटिंग शैलियाँ फिल्म "राजा बाबू" में उनके हाई-वेस्ट जींस, हूप ईयररिंग्स और बोल्ड मेकअप लुक को आइकॉनिक फैशन मोमेंट्स माना जाता है। अविस्मरणीय प्रदर्शन करिश्मा के प्रदर्शन ने बॉलीवुड और उसके दर्शकों पर एक स्थायी छाप छोड़ी। नृत्य दिवा 'ले गई' और 'सोना कितना सोना है' जैसे डांस नंबर्स के लिए मशहूर करिश्मा को बॉलीवुड की बेहतरीन डांसर्स में से एक के तौर पर याद किया जाता है। आलोचकों की प्रशंसा 'फिजा' और 'जुबैदा' जैसी समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्मों में उनकी भूमिकाओं ने एक अभिनेत्री के रूप में उनकी सीमा को प्रदर्शित किया। सदाबहार लोलो आज भी, करिश्मा कपूर उद्योग में कई लोगों के लिए एक प्रेरणा और रोल मॉडल बनी हुई हैं। एक रोल मॉडल उन्होंने अभिनेत्रियों की भविष्य की पीढ़ियों के लिए चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभाने और महिलाओं के रूढ़िवादी चित्रण के सांचे को तोड़ने का मार्ग प्रशस्त किया। करिश्मा का प्रभाव आज लाइमलाइट से सालों दूर रहने के बाद भी करिश्मा का प्रभाव कायम है। उनका प्रदर्शन प्रेरित करता रहता है, और उनकी शैली प्रतिष्ठित बनी हुई है। हिंदी सिनेमा के 90 के दशक पर करिश्मा कपूर के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। उनके शक्तिशाली प्रदर्शन, ट्रेंडसेटिंग फैशन और बॉलीवुड में महिलाओं के चित्रण पर प्रभाव ने उद्योग और उसके दर्शकों पर एक स्थायी छाप छोड़ी। बॉलीवुड के "लोलो" के रूप में उनकी विरासत आज भी गूंजती है। जानिए महेश आनंद ने क्यों बनाई बॉलीवुड से दूरियां राज किरन की बॉलीवुड में रहस्यमय अनुपस्थिति आखिर क्यों बर्बाद हुई आदिपुरुष फिल्म? विवेक अग्निहोत्री ने बताई वजह