जानिये केसीसी बैंक के लोन खातों का विशेष ऑडिट होगा या नहीं

प्रदेश के आधा दर्जन जिलों के लाखों उपभोक्ताओं को बैंकिंग सेवा मुहैया कराने वाला कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक भीषण संकट में आ गया है। इसके साथ ही बैंक के पहली बार 45 करोड़ रुपये के घाटे में आने के बाद जयराम सरकार ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की सिफारिश पर बैंक के विशेष ऑडिट के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं इसके लिए पंजीयक सहकारी सभाओं (आरसीएस) को निर्देश जारी हो चुके हैं। इसके साथ ही इस विशेष ऑडिट में बैंक के करीब सवा लाख से ज्यादा लोन अकाउंट का ऑडिट होगा और उसमें होने वाली गड़बड़ी की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आरसीएस के निर्देश पर सीए फर्म डोगर एंड कंपनी द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 के सालाना ऑडिट के बाद यह बात सामने आई थी कि बैंक 45 करोड़ रुपये के घाटे में आ गया है, हालाँकि बैंक प्रबंधन ने ऑडिट से पहले दावा किया था कि बैंक 65 करोड़ के मुनाफे में है।

ऑडिट में यह बात भी सामने आई थी कि बैंक प्रबंधन ने नियमों को धता बताते हुए करोड़ों के लोन बांट दिए, जिसके चलते बैंक का नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) भी ऑडिट में 25 फीसदी से ज्यादा निकला। इसके सत्यः ही ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और पंजीयक सहकारी सभाओं (आरसीएस) को भेजी गई थी।वहीं  इसके बाद नाबार्ड ने हाल ही में प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर विशेष ऑडिट कराने की मांग की थी। नाबार्ड की सिफारिश के बाद ही जयराम सरकार ने विशेष ऑडिट के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। 

विजिलेंस भी बैंक के इसी करोड़ों के लोन वितरण के खेल की जांच कर रही है, क्योंकि ऑडिट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह सामने आई थी कि बैंक के ऋण मानदंडों (एक्सपोजर नार्म) का उल्लंघन करते हुए बैंक ने अपने करोड़ों रुपये का लोन बांट दिया। यह तब हुआ जब एक्सपोजर नार्म के मुताबिक केसीसी बैंक हर व्यक्ति को सिर्फ चालीस लाख रुपये तक का ही लोन दे सकता था, परन्तु बैंक ने लोन लेने वालों को आठ से दस करोड़ रुपये तक का लोन दे डाला।

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