कजरी तीज पर भोले और माँ पार्वती की इस आरती से करें उन्हें खुश

कजरी तीज का पर्व महिलाओं के लिए बहुत ख़ास माना जाता है. इस साल यह पर्व 6 अगस्त 2020 को मनाया जाने वाला है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कजरी तीज पर की जाने वाली आरती के बारे में. आप जानते ही होंगे कि इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती का पूजन किया जाता है जो बड़ा ही ख़ास होता है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कजरी तीज पर की जाने वाली माता की आरती.

पार्वती माता की आरती- जय पार्वती माता जय पार्वती माता   ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।   जय पार्वती माता जय पार्वती माता।   अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता   जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।   जय पार्वती माता जय पार्वती माता।   सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा   देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।   जय पार्वती माता जय पार्वती माता।   सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता   हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।   जय पार्वती माता जय पार्वती माता।   शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता   सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।   जय पार्वती माता जय पार्वती माता।   सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता   नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।   जय पार्वती माता जय पार्वती माता।   देवन अरज करत हम चित को लाता   गावत दे दे ताली मन में रंगराता।   जय पार्वती माता जय पार्वती माता।   श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता   सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।   जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

आप भोलेनाथ की भी यह आरती कर सकती हैं -

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी । सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा । पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा । भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला । शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥ ॥ जय शिव ओंकारा...॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

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