ऐ जिंदगी तू ही बता... पहले अधूरी थी मैं या अब अधूरी हूँ मैं! ऐ जिंदगी अब तू ही बता.. ये कौन सा रिश्ता है जो मेरी आँखों से रिसता है. तुझे चाहा तो बहुत इजहार न कर सके, कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके, तूने माँगा भी तो अपनी जुदाई माँगी, और हम थे कि तुझे इंकार न कर सके. हैरत से न देख मेरे चेहरे की दरारें, मैं वक़्त के हाथों में खिलौने की तरह था. माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी, जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता. एक नदिया है मजबूरी की उस पार हो तुम इस पार हैं हम, अब पार उतरना है मुश्किल मुझे बेकल बेबस रहने दो. कभी प्यार था अपना दीवाना सा झिझक भी थी एक अदा भी थी, सब गुजर गया एक मौसम सा अब याद का पतझड़ रहने दो. तुम भूल गए क्या गिला करें तुम, तुम जैसे थे हम जैसे नहीं, कुछ अश्क़ बहेंगे याद में बस अब दर्द का सावन रहने दो. तेरे सुर्ख लबों के रंग से फिर मुझे बिखरे ख्वाब संजोने दो, मैं हूँ प्यार का मारा बेचारा मुझे बेकस बेखुद रहने दो. हसरत जयपुरी की याद में वर्ल्ड प्रेस फोटो अवार्ड 2018 जीतने वाली कुछ तस्वीरें पुरातत्वविदों ने खोजी करीब 85 हज़ार साल पुरानी इंसानी हड्डी