जमीन होने के बावजूद आदिवासियों को बैंकों से ऋण नहीं मिल रहा है: सीएम हेमंत सोरेन

रांची: सोमवार को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने बैंकरों से अपील की कि वे अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्यों को ऋण की सुविधा के लिए लीक से हटकर सोचें जिससे वे शिक्षा मिल सकें या कारोबार आरम्भ कर सकें। सीएम ने बैंक अफसरों के साथ मीटिंग में बताया, "जब प्रदेश बिहार का हिस्सा था तब अनुसूचित जनजाति समुदाय की जनता को बैंक ऋण की अनुपलब्धता की दिक्कत प्रचलित थी। यह दिक्कत आज भी बनी हुई है। जमीन होने के बाद भी आदिवासियों को बैंकों से ऋण नहीं प्राप्त हो रहा है। हमें यह सुनिश्चित करने का इंतजाम करना चाहिए कि ST समुदाय के सदस्य कारोबार आरम्भ करने या विकास के किसी अन्य लक्ष्य के लिए सरलता से ऋण मिल सकें।" 

साथ ही हेमंत सोरेन ने कहा कि अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति समुदाय के व्यक्तियों को अविभाजित बिहार के वक़्त से पेश आ रही कर्ज की दिक्कत का समाधान बैंक प्रबंधन लीक से हट कर निकाल सकता है। जमीन को नहीं बल्कि जमीन पर जिस चल-अचल संपत्ति का निर्माण हो, उसे कोलेट्रल के तौर पर रखने पर बैंक विचार करें तो दिक्कत का किसी हद तक समाधान निकाला जा सकता है। इसके अलावा बैंकों को कोलेट्रल फ्री कर्ज की अधिसीमाओं को बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे आदिवासियों को सरलता से शिक्षा, आवास, कारोबार और उद्योग लगाने के लिए लोन प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का आँकड़ा प्रदेश की आबादी का 28 प्रतिशत है।

सीएम ने सोमवार को उपरोक्त बातें अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को बैंकों द्वारा ऋण उपलब्ध कराने के सिलसिले में प्रोजेक्ट भवन में आयोजित मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए कही। सीएम ने कहा यदि बैंक आदिवासी समुदाय के व्यक्तियों की जमीन छीन लेगी तो, उनका अस्तित्व ही छीन जाएगा। उनके अस्तित्व को सुरक्षित रखते हुए हमें कार्य करना है। इस समुदाय के लोग यदि आगे नहीं बढ़ेंगे तो प्रदेश कैसे विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। बैंक प्रबंधन इस पर विचार करें। बैंक प्रबंधन बोर्ड की मीटिंग में इन बातों को रखें। 

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