भारत पाक के साथ दोहराना चाहता है नीमराना डायलॉग

दिल्ली: केंद्र सरकार पाकिस्तान के साथ नीमराना डायलॉग को नए सिरे से शुरू करना चाहती है. इससे पहले भी विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव और पाकिस्तान मामलों के एक्सपर्ट विवेक काटजू के नेतृत्व में भारत-पाक संबंधों में सुधार हेतु चर्चा करने के लिए पूर्व भारतीय राजनयिकों, भूतपूर्व सैन्य लीडर्स और शिक्षा जगत की दिग्गज हस्तियों पर आधारित एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की यात्रा पर गया था .पूर्व एनसीईआरटी प्रमुख जे.एस.राजपूत भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे. पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व पूर्व विदेश सचिव ईनामुल हक और इशरत हुसैन समेत अन्य लोगों ने किया. दोनों ओर के प्रतिनिधियों के बीच 28 से 30 अप्रैल तक बातचीत चली.  नीमराना डायलॉग दोनों देशों के बीच एक गैर सरकारी पहल है जिसमें सरकार सीधे तौर पर शामिल नहीं होती है. पहले भी इस तरह की वार्ता की कोशिश हो चुकी है लेकिन पहले के मुकाबले इसमें थोड़ा फर्क यह है कि अतीत में दोनों देशों के विदेश मंत्रालय भी इससे जुड़े थे. पहली बार 1991-1992 में नीमराना के किले में मीटिंग हुई थी और इसी कारण इसका नाम नीमराना डायलॉग पड़ गया. तब से दोनों ओर के गैर सरकारी प्रतिनिधि दोनों देशों के संबंधों को सुधारने पर बातचीत करते हैं.

नीमराना ग्रुप के सदस्य पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि नीमराना एक अहम पहल है जो संबंधों में मुश्किल समय के बावजूद भी सार्थक रहती. सिब्बल ने कहा, 'बीते कुछ समय में नीमराना को मुश्किल समय से गुजरना पड़ा. दोनों पक्षों ने महसूस किया कि इस परंपरा को जीवित रखना जरूरी है लेकिन मैं नहीं गया क्योंकि मेरा मानना है कि मौजूदा परिस्थिति में इससे कोई फायदा नहीं होगा.' 

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