'अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक मौजूदगी बनाए रखे भारत..', क्या तालिबान की यह अपील मानेगी सरकार ?

नई दिल्ली: इस हफ्ते की शुरुआत में ही ये साफ हो गया था कि भारत ने काबुल से अपने अधिकारियों को वापस लाने का प्लान बना लिया है. वहीं, आतंकी संगठन तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने भारतीय पक्ष से एक आग्रह किया है. जिसमें भारत से राजनयिक उपस्थिति बनाए रखने की अपील की गई है. तालिबान के एक नेता के माध्यम से किया गया ये आग्रह अनौपचारिक था. भारत ने लगभग 200 लोगों को दो सैन्य उड़ानों के माध्यम से सोमवार और मंगलवार को अफगानिस्तान से निकाल लिया.

तालिबान की वार्ता करने वाली टीम में नंबर दो और कतर में स्थित नेताओं में तीसरे नंबर के रूप में देखे जाने वाले स्टेनकजई अतीत में अफगानिस्तान में भारत की भूमिका के आलोचक रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अपने अनौपचारिक संदेश में भारतीय पक्ष को बताया कि समूह रविवार को तालिबान के अधिग्रहण के बाद काबुल में सुरक्षा स्थिति के संबंध में भारतीय चिंताओं से अवगत था, किन्तु उसे अफगान में अपने मिशन और राजनयिकों की चिंता नहीं करनी चाहिए.

स्टेनकजई ने उन रिपोर्ट्स का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी के लड़ाके काबुल में थे और उन्हें एयरपोर्ट के रास्ते में चेकपोस्ट पर तैनात किया गया था. नेता ने दलील दी कि एयरपोर्ट समेत सभी चेक पोस्ट तालिबान के हाथ में मजबूती से थीं. हालांकि, कहा जा रहा है कि भारत इस संदेश को व्यवहारिक तौर पर नहीं ले सकता और उसे अपने प्लान के हिसाब से ही आगे बढ़ना चाहिए. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि काबुल में अशरफ गनी सरकार के बाद लश्कर और हक्कानी नेटवर्क के कुछ मेंबर तालिबान के आतंकियों के साथ काबुल में एंट्री कर गए थे. जिसके बाद पीएम मोदी ने निर्देश दिया था कि भारतीयों की सुरक्षा और उनकी वापसी सबसे अहम है.

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