सिद्धारमैया ने पिछले कार्यकाल में कितना कर्ज लिया था? शिक्षक ने बताया तो चली गई नौकरी ! कर्नाटक में नई सरकार का एक्शन शुरू

नई दिल्ली: सिद्धारमैया कर्नाटक में मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दूसरी पारी शुरू कर चुके हैं। विगत शनिवार (20 मई) को सिद्धारमैया ने अपने 8 मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण की है। हालांकि, कर्नाटक की कमान हाथ में ही जब एक स्कूल टीचर ने सरकार की आलोचना की तो, उसे नौकरी से ही निकाल दिया गया। ये मामला कर्नाटक के एक सरकारी स्कूल का है, जहां शिक्षक ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सरकार (सिद्धारमैया सरकार) के पुराने आंकड़े दिखाते हुए, उनकी नीतियों की आलोचना की, मगर उसे नौकरी से निकाल दिया गया। 

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मामला चित्रदुर्ग जिले के होसदुर्गा के कानुबनहल्ली के एक सरकारी स्कूल का है, जहां शांतामूर्ति एमजी नामक एक शिक्षक बच्चों को पढ़ाते थे। शपथ ग्रहण समारोह के बाद शांति मूर्ति एमजी ने सोशल मीडिया के माध्यम से सिद्धारमैया सरकार की नीतियों की आलोचना की थी, मगर उन्हें क्या पता था कि उन्हें ये पोस्ट इतनी भारी पड़ेगी कि, उन्हें अपनी नौकरी तक से हाथ धोना पड़ेगा। दरअसल, शिक्षक ने पोस्ट में सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की थी। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि, पूर्व एसएम कृष्णा के कार्यकाल के दौरान एसएम कृष्णा ने 3,590 करोड़ रुपये, एचडी कुमारस्वामी ने 3,545 करोड़ रुपये, बीएस येदियुरप्पा ने 25,653 करोड़ रुपये, जगदीश शेट्टार ने 13,464 करोड़ रुपये, धर्म सिंह 15,635 करोड़ रुपये और डीवी सदानंद गौड़ा ने 9,464 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, जबकि सिद्धारमैया सरकार (2013-18) ने 2,42,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। शिक्षक ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि, एसएम कृष्णा के वक़्त से लेकर शेट्टार तक मुख्यमंत्रियों ने कुल 71,331 करोड़ रुपये ऋण लिया, मगर सिद्धारमैया के कार्यकाल में कर्ज की राशि 2,42,000 करोड़ रुपये तक जा पहुंची थी।

 

ये आंकड़े दिखाते हुए शिक्षक ने सरकार को नसीहत देते हुए लिखा था कि, 'इसलिए सिद्धारमैया सरकार के लिए मुफ्त योजनाओं और गिफ्ट का ऐलान करना बेहद आसान रहा है।' लेकिन, इस पोस्ट के सामने आते ही शिक्षक पर गाज गिरी और उसे तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया। उप निदेशक के रविशंकर रेड्डी ने कहा कि शिक्षक ने कर्नाटक सिविल सेवा (आचरण) नियमों का उल्लंघन किया है, जिसके बाद विभाग ने उन्हें सस्पेंड करने का फैसला लिया है।

फ्री के वादों पर कितना खर्च करेगी कांग्रेस सरकार:-

बता दें कि, कर्नाटक के चुनावों में कांग्रेस ने जनता से मुफ्त के 5 वादे किए थे, जिन्हे सरकार बनते ही सीएम सिद्धारमैया ने मंजूरी भी दे दी है। हालाँकि, इस पर कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने राज्य की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए सवाल उठाए हैं। दरअसल, यदि कर्नाटक की आर्थिक स्थिति पर नजर डाली जाए, तो राज्य की कुल आय लगभग 2 लाख 26 हजार करोड़ रुपए के लगभग है, जबकि कुल खर्च 2 लाख 87 हजार करोड़ है। इसका अर्थ यह हुआ कि इन योजनाओं पर अमल के बाद कर्नाटक का घाटा बढ़कर 1 लाख 15-17 हजार करोड़ के करीब पहुंच जाएगा। बता दें कि, कर्नाटक सरकार द्वारा 200 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा पर सालाना 14 हजार 430 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है।

वहीं, युवाओं को दिए जाने वाले बेरोजगारी भत्ते पर सालाना 3 हजार करोड़ खर्च होंगे। महिलाओं को भत्ता देने पर हर साल कुल 30 हजार 720 करोड़ का खर्च आएगा। गरीबों को फ्री अनाज पर 5 हजार करोड़ रुपए लगेंगे। वहीं, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा का अनुमान लगाना थोड़ा कठिन है, क्योंकि इसके लिए यात्रा करने वाली महिलाओं की संख्या, किराए की कीमत और यात्राओं की संख्या का आंकलन करना होगा, इसके साथ ही राज्य सरकार कितने मछुआरों को प्रति वर्ष 500 लीटर डीजल देती है, और उसपर कितना खर्च होता है, ये भी जल्द सामने आ जाएगा ।

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