होली के दिन जरूर गायें यह 5 लोकगीत

रंग-बिरंगी होली हर साल मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 29 मार्च को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आप जानते ही होंगे कि इस पर्व पर लोग एक-दूसरे पर रंग फेंकते हैं, और ढोल बजाकर होली के लोकगीत गाते हैं। इसी के साथ इस दिन घर-घर जाकर लोगों को रंग लगाकर त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं होली के पौराणिक 5 लोकगीत...।

अवध मां होली खेलैं रघुवीरा।

ओ केकरे हाथ ढोलक भल सोहै, केकरे हाथे मंजीरा। राम के हाथ ढोलक भल सोहै, लछिमन हाथे मंजीरा। ए केकरे हाथ कनक पिचकारी ए केकरे हाथे अबीरा। ए भरत के हाथ कनक पिचकारी शत्रुघन हाथे अबीरा।

होरी खेलैं राम मिथिलापुर मां मिथिलापुर एक नारि सयानी, सीख देइ सब सखियन का, बहुरि न राम जनकपुर अइहैं, न हम जाब अवधपुर का।।

जब सिय साजि समाज चली, लाखौं पिचकारी लै कर मां। मुख मोरि दिहेउ, पग ढील दिहेउ प्रभु बइठौ जाय सिंघासन मां।।

हम तौ ठहरी जनकनंदिनी, तुम अवधेश कुमारन मां। सागर काटि सरित लै अउबे, घोरब रंग जहाजन मां।।

भरि पिचकारी रंग चलउबै, बूंद परै जस सावन मां। केसर कुसुम, अरगजा चंदन, बोरि दिअब यक्कै पल मां।।

सरयू तट पर होली सरजू तट राम खेलैं होली, सरजू तट। केहिके हाथ कनक पिचकारी, केहिके हाथ अबीर झोली, सरजू तट।

राम के हाथ कनक पिचकारी, लछिमन हाथ अबीर झोली, सरजू तट।

केहिके हाथे रंग गुलाली, केहिके साथ सखन टोली, सरजू तट।

केहिके साथे बहुएं भोली, केहिके साथ सखिन टोली, सरजू तट।

सीता के साथे बहुएं भोली, उरमिला साथ सखिन टोली, सरजू तट।

 

आज बिरज में होली रे रसिया,

आज बिरज में होली रे रसिया, होली रे रसिया, बरजोरी रे रसिया। उड़त गुलाल लाल भए बादर, केसर रंग में बोरी रे रसिया।

बाजत ताल मृदंग झांझ ढप, और मजीरन की जोरी रे रसिया।

फेंक गुलाल हाथ पिचकारी, मारत भर भर पिचकारी रे रसिया।

इतने आये कुंवरे कन्हैया, उतसों कुंवरि किसोरी रे रसिया।

नंदग्राम के जुरे हैं सखा सब, बरसाने की गोरी रे रसिया।

दौड़ मिल फाग परस्पर खेलें, कहि कहि होरी होरी रे रसिया।

होरी खेलत राधे किसोरी

होरी खेलत राधे किसोरी बिरिजवा के खोरी। केसर रंग कमोरी घोरी कान्हे अबीरन झोरी।

उड़त गुलाल भये बादर रंगवा कर जमुना बहोरी। बिरिजवा के खोरी। लाल लाल सब ग्वाल भये, लाल किसोर किसोरी।

भौजि गइल राधे कर सारी, कान्हर कर भींजि पिछौरी। बिरिजवा के खोरी।

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