बचपन से हिन्दी साहित्य पढ़ने का शौक था-पियूष मिश्रा

बाॅलीवुड अभिनेता पियूष मिश्रा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्होंने जिन भी फिल्मों में काम किया है अपना एक अलग प्रभाव छोड़ा है। हाल ही में पियूष मिश्रा ने अपने बारे में बताते हुए कहा, मैंने पहली बार हारमोनियम छुआ और वो बज गया। तबसे उनका हारमोनियम बजता जा रहा है। कभी दुनिया को ठुकराता है तो कभी दूर देस के टावर में एरोप्लेन  घुसवाता है।

गौरतलब है कि पियूष मिश्रा उन लोगों की जमात में शामिल हैं जो अपने शब्दों की गहराइयों में खींचकर किसी को डुबो सकते हैं।  दरअसल पियूष मिश्रा 12 नवंबर को ‘साहित्य आज तक’ के मंच पर नजर आएंगे। पियूष मिश्रा से अपनी फिल्मी एवं थियेटर यात्रा के बारे में बताया कि बचपन से मेरा साहित्य का साथ रहा। बचपन से ही हिंदी साहित्य पढ़ने का बहुत शौक था। मेरे पिता जी की बदौलत। बचपन से नन्दन, पराग और ऐसी तमाम किताबें पढ़ता था। जैसे चंदा मामा। इन्हीं किताबों ने मेरा साहित्य से परिचय करवाया था।

इन्हीं किताबों से मैं साहित्य से जुड़ा। फिर न जाने कब मैंने पहली पोएट्री लिख दी। उस वक्त मैं आठवीं क्लास में था। वो आज पढ़ता हूं तो लगता है अच्छी लिखी थी।

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