हाईकोर्ट ने लिया त्रिपुरा हिंसा का स्वतः संज्ञान. राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

अगरतला: पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा राज्य में अल्पसंख्यकों पर हमला किए जाने और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाने की खबरों पर उच्च न्यायालय ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और सरकार से रिपोर्ट माँगी है। मामले का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और जस्टिस सुभाशीष तलपात्रा ने त्रिपुरा सरकार को इस संबंध में 10 नवंबर तक विस्तृत रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा है।

इसके साथ ही यह भी पूछा कि सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की साजिश को विफल करने के लिए राज्य की क्या योजना है। इसके अलावा, मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और जस्टिस एस तलपात्रा की बेंच ने राज्य में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए विभिन्न सियासी दलों द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। अदालत ने राज्य के भीतर शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रिंट मीडिया द्वारा निभाई गई ‘सक्रिय व सकारात्मक भूमिका’ को भी सराहा है।

राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष एक संक्षिप्त नोट देकर राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव लाने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कुछ अहम कदमों के साथ-साथ ऐसी हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में बताया। इसको लेकर अदालत ने कहा कि उसकी एकमात्र चिंता त्रिपुरा के तमाम नागरिकों की के जीवन, उनकी संपत्ति और स्वतंत्रता को लेकर है। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य पर कानून और व्यवस्था कायम रखने के साथ-साथ नागरिकों को उनके जीवन, आजीविका और संपत्तियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।

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