देश के आधे से ज्यादा हिस्सो का पानी पीने लायक नहीं

नई दिल्ली।किसी भी बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर्स सबसे पहला सुझाव यही देते है कि पानी ज्यादा पिये और स्वच्छ पिये। मेडिकल साइन्स भी यही कहता है कि अधिकतर बीमारियो कि शुरुआत दूषित पानी पीने से ही होती है, परंतु आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश के आधे से ज्यादा जिलो का पानी पीने लायक ही नहीं है। अगर आप सोच रहे होंगे कि हम नदियो या तालाबो के पानी की बात कर रहे है तो आप गलत है क्योंकि यहाँ बात हो रही है सबसे शुद्ध माने जाने वाले भूमिगत जल की।

मानसून सत्र की कार्यवाही के दौरान केंद्र सरकार ने जानकारी साझा की है। इस जानकारी के मुताबिक भूजल में नाइट्रेट के साथ ही साथ फ्लोराइड, आयरन, आर्सेनिक और दुसरी खतरनाक धातुओं की मात्रा भी बढ़ गई है। भारत के 50 प्रतिशत जिलों के भूजल में धातुओं की मात्रा ब्यूरो के तय मानकों से बहुत अधिक है। पानी मे बढ़ते इस प्रदूषण के लिए गांव से लेकर शहरों तक में हो रहे औद्योगिकीकरण और नवनीकरण ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।  उद्योगों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरों से भूजल दूषित होता है। यहां तक कि खेत में अच्छी पैदावर के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले खाद और कीटनाशक के लगातार प्रयोग से भूजल में नाइट्रेट की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है।

डबल्यूएचओ के अनुसार नाइट्रेट की अत्यधिक मात्रा वाले भूजल से कई तरह की बीमारियां हो सकती  हैं। ऐसे में रक्त द्वारा शरीर में ऑक्सीजन की संचालन शक्ति में कमी आ जाती है। वहीं आर्सेनिक की अधिक मात्रा वाला पानी स्कीन कैंसर और किडनी, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है।

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