जन्माष्टमी के दो दिन पहले किया जाता है ये खास व्रत

भद्रा का माह शुरू हो गया है और इस माह में कई तीज त्यौहार आते हैं. ऐसे ही कृष्णा जन्माष्टमी का पर्व ख़ास माना जाता है लेकिन उसके पहले भी कई तीज और चतुर्थी आती हैं जिनके बहुत ही खास महत्व होते हैं. आज कजरी तीज है और इसके बाद गणेश चतुर्थी आएगी और फिर हल छठ का भी बहुत महत्व है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. इस के कई नाम है जैसे ललही छठ, हल षष्ठी व्रत का त्योहार मनाया जाता है. ये त्यौहार कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है, इतना ही नहीं ये श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जयंती के रूप में भी मनाई जाती है. इसे आप बलराम जयंती भी कहते हैं जो 1 सितम्बर को पड़ रही है.

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इस छठ का महत्व बहुत खास होता है और इसे जन्माष्टमी के ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है. हिंदू ज्योतिशास्त्र के अनुसार बलराम को हल और मूसल से खास लगाव था इसीलिए इस त्योहार को हल षष्ठी के नाम से जाना जाता है. बलराम जयंती के दिन किसान वर्ग खास तौर पर पूजा करते हैं. इस दिन हल, मूसल और बैल की पूजा करते हैं और इसी से वो इस  पर्व को मनाते हैं दिन का खास बनाते हैं.

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इस दिन लोग हल छठ की कथा भी सुनते हैं और इसी विशेष दिन पर वो हल से जुती हुई अनाज व सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि ये व्रत संतसं की लम्बी आयु के लिए भी किया जाता है जो बहुत ही प्रभावी माना जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और गोबर से दिवार पर छठ माता का चित्र बना कर उसकी पूजा करती हैं जिनके साथ माता पार्वती और गणेश जी का भी पूजन किया जाता है और कथा सुनी जाती है. 

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