इस वर्ष गुरु नानक जयंती 30 नवंबर दिन सोमवार को है। ऐसे में आप जानते ही होंगे उनके दोहे ऐसे रहे हैं जिन्होंने लोगों को बहुत प्रोत्साहित किया है। जी दरअसल गुरु नानक जी ने समाज में समानता का नारा दिया है और उन्होंने कहा है, 'ईश्वर हमारा पिता है और हम सब उसके बच्चे हैं और पिता की निगाह में छोटा-बड़ा कोई नहीं होता। वही हमें पैदा करता है और हमारे पेट भरने के लिए खाना भेजता है।' ऐसे में आज उनकी जयंती से पहले हम आपको बताने जा रहे हैं गुरु नानक देव के यह 8 दोहे।।। गुरु नानक देव के यह 8 दोहे- अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥ मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत। अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥ मन मूरख अजहूं नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत। नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥ एक ओंकार सतनाम, करता पुरखु निरभऊ। निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि ।। हुकमी उत्तम नीचु हुकमि लिखित दुखसुख पाई अहि। इकना हुकमी बक्शीस इकि हुकमी सदा भवाई अहि ॥ सालाही सालाही एती सुरति न पाइया। नदिआ अते वाह पवहि समुंदि न जाणी अहि ॥ पवणु गुरु पानी पिता माता धरति महतु। दिवस रात दुई दाई दाइआ खेले सगलु जगतु ॥ धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई। तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई॥ दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई। नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई॥ इस कथा को सुनने से खुल जाते हैं स्वर्ग के द्वार आज है बैकुंठ चतुर्दशी, इस आरती से करें श्री विष्णु को खुश पीएम मोदी ने कहा- किस तरह से एक किसान को दिलाया महीनों का बकाया पैसा