जामनगर: हिरासत में युवक की मौत मामले में गुजरात के जामनगर कोर्ट ने बर्खास्त IPS अधिकारी संजीव भट्ट और उनके सहयोगी को दोषी करार दे दिया है. अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है. दरअसल, 1990 में जामनगर में भारत बंद के दौरान हिंसा भड़की थी. भट्ट उस समय जामनगर के एएसपी थे. इस दौरान 133 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था, जिनमें 25 लोग घायल हुए थे और आठ लोगों को उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया था. न्यायिक हिरासत में रहने के बाद एक आरोपी प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की मृत्यु हो गई. भट्ट और उनके सहयोगियों पर पुलिस हिरासत में मारपीट करने का इल्जाम लगा था. इस मामले में संजीव भट्ट व अन्य पुलिसवालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, किन्तु गुजरात सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी. 2011 में राज्य सरकार ने भट्ट के खिलाफ ट्रायल की इजाजत दे दी. बुधवार (12 जून) को शीर्ष अदालत ने संजीव भट्ट की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया था. भट्ट ने अपनी याचिका में अपने खिलाफ हिरासत में हुई मौत के मामले में गवाहों की नए सिरे से जांच कराने की मांग की थी. संजीव भट्ट गुजरात के निलंबित आईपीएस अफसर हैं. भट्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. महंगी धातुओं के भाव में जोरदार तेजी का यह है कारण कारोबार के दौरान दो पैसे तक मजबूत हुआ रुपया गुरुवार को फिर घटे डीजल के दाम, पेट्रोल स्थिर