संवैधानिक विशेषज्ञों की सख्त चेतावनी, राज्यपाल कोई 'मजाक' नहीं

राजस्थान में सियासी घमासन के चलते कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी कलह सबके सामने आ गई है. इस कलह में राज्यपाल भी शामिल हो चुके है. कांग्रेस राज्यपाल पर बिना वक्त गवाए विधानसभा का सत्र बुलाने का दबाव बन रहा है. वहीं राज्यपाल इसको लेकर कानूनी राय ले रहे हैं. इस विलंब के कारण कांग्रेस राज्यपाल की भूमिका पर प्रश्न भी खड़ी कर रही है, किन्तु इस लड़ाई में संवैधानिक जानकार राज्यपाल के पक्ष में अपनी राय दे रहे है.

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दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव और संवैधानिक के जानकार उमेश सहगल का बड़ा बयान सामने आया है. जिसमें उन्होने कहा कि राज्यपाल रबर स्टांप नहीं होता और उसके पास किसी भी मामले पर सफाई मांगने और संवैधानिक राय लेने का अधिकार है. उनका मानना है कि राज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाने की वजह जान सकता है, और इसके मंजूरी के लिए एक जरूरी वक्त भी ले सकता हैं.

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उमेश सहगल का मानना है कि कोरोना के वक्त में राज्यपाल यह जान सकते हैं, कि किस प्रकार से शारिरिक दूरी सहित अन्य नियमों का पालन होने वाला है. वहीं वरिष्ठ वकील डीके गर्ग का मानना है की राजस्थान केस में राज्यपाल कलराज मिश्र का कदम एकदम सही है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं, किन्तु अभी लगभग 20 एमएलए के सदस्यता का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है, और इसके लिए 4 अगस्त की दिनांक दी गई है. ऐसे में अगर वे कोई निर्णय करते हैं, तो यह सर्वोच्च अदालत के कार्य में दखल भी माना जा सकता है. गर्ग का कहना है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत एक बार विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना चाहते है. 

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