भगवान गणेश की पूजा के दौरान जरूर पढ़े यह गणेश गायत्री मंत्र

आप सभी ही इस बात से वाकिफ होंगे कि हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धिदाता व विघ्रहर्ता के रूप में पूजा जाता है. वहीं इसके पीछे यही संदेश है कि शरीर, कर्म या धन की ताकत तब ज्यादा असरदार होती है, जब उनके साथ बुद्धि का सही तालमेल बैठ जाता है. ऐसे में कहते हैं कि श्रीगणेश के अनुकूल होने पर पूरा संसार ही अनुकूल हो जाता है और उनके भक्तों को उनकी भक्ति करने के शानदार फल मिलता है. ऐसे में बुद्धि का सही उपयोग ही सुखदायी व संकटमोचक होता है और भक्ति करने के लिए कई मंत्र जपे जा सकते हैं. जी हाँ, कहते हैं कामनाओं को पूरा करने के लिए दिन या काम की शुरुआत में भगवान गणेश का ध्यान किया जाता है तभी कामना पूरी होती है. ऐसे में मार्गशीर्ष मास की विनायकी चतुर्थी पर गणेश गायत्री मंत्र बोल कर गणेश पूजा करने से श्री गजानन विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं. इसी के साथ अगर आप दिनभर में कभी भी गणेश भगवान की पूजा करते हैं तो यह उपाय कर सकते हैं क्योंकि यह उपाय सभी परेशानी दूर करने के साथ-साथ घर, परिवार या कार्यालय से जुड़े हर काम सफलता दिला देता है. आइए बताते हैं गणेश गायत्री मंत्र.

सुबह या पूजा के वक्त नहाने के बाद भगवान गणेश को केसरिया चंदन, सिंदूर, अक्षत, दूर्वा के साथ मोदक का भोग लगाकर पीले आसन पर बैठ यथासंभव रुद्राक्ष या चंदन की माला से नीचे लिखा गणेश गायत्री मंत्र कार्य में सफलता की कामना से कम से कम 108 बार बोलें -

महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती: प्रचोदयात्। एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

इस मंत्र से श्री गणेश संपूर्ण पूजा करने पर आपको शुभ फल मिलता है. 

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