सियासत की भीड़ में एक अलग चेहरा थे पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी

'टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी, अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी, हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं... गीत नया गाता हूं.' इस प्रेरणादायक कविता के रचयिता और इंडिया के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 5वी पुण्यतिथि है (Atal Bihari Vajpayee 5th Death Anniversary). इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) उनके समाधि स्थल सदैव अटल पहुंच गए थे. जहां पर पीएम मोदी ने भाजपा  की नींव रखने वाले अटलजी को श्रद्धांजलि दी. इस बीच  उनके साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बीजेपी नेताओं ने पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि देने वाले है. 2024 का चुनाव करीब है, ऐसे में सियासतदान कोई भी मौका नहीं छोड़ना नहीं चाह रहे है.

भारतीय राजनीति के दिग्गज और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने करीब 6 दशक तक सियासत में अपनी अमिट छाप भी छोड़ दी है. अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्यसभा और दस बार लोकसभा सदस्य भी चुन लिए गए थे. भारत रत्न से सम्मानित अटल जी देश के तीन बार प्रधानमंत्री बने. अपनी दूरदर्शिता और शब्दों के साथ भाषा पर बेजोड़ पकड़ के कारण से अटल जी ने सियासत, साहित्य और समाज के हर क्षेत्र में अलग मुकाम हासिल भी अपने नाम किया. कितनी भी कठिनाइयां सामने आ रही हों, अटलजी ने अपने मजबूत इरादों के साथ उनका डटकर मुकाबला किया. अटल जी के लिए राष्ट्रहित हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर रहा.

राजनीतिक सफर:  बता दें कि 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे अटल जी को छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में गहरी रुचि रही. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय से राजनीति का पाठ पढने वाले अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक कहे जाते है. पहली बार 1957 में जनसंघ के टिकट पर बलरामपुर से लोकसभा के लिए चुने गए. अटल जी के लिए सबसे बड़ा मौका तब आया जब इमरजेंसी के उपरांत 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार बन गई. मोरारजी जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री बने और अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री भी बना दिया गया है. विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया और इंडिया का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया.

बीजेपी की स्थापना:  खबरों का कहना है कि 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने लालकृष्ण आडवाणी और कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी का गठन किया. वे बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. अटल जी 1980 से 1986 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे. इंदिरा गांधी की मौत के उपरांत  जब 1984 में आम चुनाव हुए तो बीजेपी को महज 2 सीट ही मिल पाई...GFX OUT जिसके उपरांत भी अटलजी पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए है.  ये उनके करिश्माई नेतृत्व का नतीजा ही था कि 1984 में सिर्फ दो सीट पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी ने 1989 के चुनाव में 85 सीट जीतकर भारतीय लोकतंत्र में नया मुकाम भी अपने नाम कर लिया है. 

पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी सरकार ने पूरा किया कार्यकाल: बता दें कि 1996 के लोकसभा चुनाव में 161 सीटें जीतकर भाजपा पहली बार सबसे बड़ी पार्टी बनी.अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार देश के पीएम बनें. हालांकि उनकी सरकार महज 13 दिन ही चली. 1998 में देश की जनता ने एक बार फिर से अटल बिहारी वाजपेयी पर भरोसा जताया और भाजपा 182 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई. अटल जी दूसरी बार देश के पीएम बने.  उनके नेतृत्व में  भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन ने केन्द्र में सरकार भी बना दी है. ये गवर्नमेंट  13 महीने तक चली. 1999 में 13 वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा लगातार तीसरी बार सबसे बड़ी पार्टी बनी. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक बार फिर से NDA की सरकार बनी. इस चुनाव के बाद ही अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री के तौर पर 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका भी मिल गया है. अटल जी की अगुवाई में केन्द्र में पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी सरकार ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी समेत कई दिग्गजों ने दी श्रद्धांजलि

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