2030 में देश में दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक कारें

नई दिल्ली : देश में निकट भविष्य में सड़कों पर इलेक्ट्रिक कारें ही दौड़ती नज़र आएंगी.नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान अगले तीन वर्षों में सात करोड़ इलेक्ट्रिक कार बनाने की तैयारी में है.भारत सरकार ने वर्ष 2015 में नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (एनईएमएमपी) 2020 का समर्थन कर नीति आयोग ने वर्ष 2030 तक डीजल और पेट्रोल चलित गाडियों को प्रतिबंधित करने की योजना बनाई है .ऊर्जा सुरक्षा और वाहन प्रदूषण के मुद्दे पर यह फैसला लिया गया है.

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार इस योजना को बढ़ावा देकर प्रदूषण को कम कर देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ाना चाहती है. इससे पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत की प्रतिबद्धता भी दिखाई देगी. फ़िलहाल भारत को कारों के लिए तेल की बड़ी मात्रा को आयात करना पड़ता है.इलेक्ट्रिक कारों के उपयोग से तेल पर निर्भरता कम हो जाएगी. देश में महिंद्रा एन्ड महिंद्रा कंपनी की ओर से रीवा में एक यूनिट शुरु की गई है. महिंद्रा ने एक मॉडल "द ई2जीरो प्लस" निकाला है. टाटा मोटर्स भी इस दिशा में सक्रिय है. कार कंपनियों द्वारा व्यापारिक इलेक्ट्रिक वाहनोंके निर्माण पर जोर दिया गया है.

बता दें कि इंडियन ऑयल ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए पहला चार्जिंग स्टेशन नागपुर में खोल दिया है. टाटा ने चंडीगढ़ में नौ मीटर लंबी इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल किया है .इतना सब कुछ होते हुए भी इलेक्ट्रिक कारों की दिक्कत यह है कि औसत एक बार चार्ज करने पर 120 किमीं. सफर तय कर सकेंगी. इलेक्ट्रिक कारों की टॉप स्पीड 80 से 85 किमीं होगी. वहीँ बैटरी की कीमत और चार्जिंग सुविधा की भी तकलीफ रहेगी .ऐसे में इलेक्ट्रिक कारों को लंबी दूरी के लिए डिजाइन करना भी चुनौती पूर्ण होगा.

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