आखिर क्यों एकादशी के दिन नहीं खाया जाता है चावल?

प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। पापमोचनी एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से इंसान को कई जन्मों के पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। आज यानी 18 मार्च दिन शनिवार को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति सभी सांसारिक सुखों को भोग अंत में मोक्ष का अधिकारी होता है। एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है लेकिन चावल तो व्यक्ति को भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, चाहे वह एकादशी व्रत रखे या ना रखे। एकादशी के दिन चावल खाने से मांस खाने का अपराध लगता है। लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है? यदि नहीं तो आइये जानते है क्यों है एकादशी के दिन चावल खाना निषेध।

एकादशी को चावल क्यों नहीं खाते? पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मां भागवती के क्रोध से बचने हेतु महर्षि मेधा ने अपने शरीर का ही त्याग कर दिया था, तत्पश्चात, उनके शरीर के अंश पृथ्वी में समा गए थे। परम्परा है उन अंशों के धरती में समाने के परिणाम स्वरूप धरती से चावल के पौधे की उत्पत्ति हुई। यही वजह है कि चावल को पौधा नहीं अपितु जीव माना जाता है।

कथानुसार जिस दिन महर्षि मेधा ने शरीर त्यागा था, उस दिन एकादशी थी। इसके चलते ही एकादशी को चावल खाना निषेध माना गया है। ऐसी परम्परा है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के रक्त एवं मांस खाने के बराबर है, जिससे अपराध लगता है तथा अगले जन्म में व्यक्ति को सर्प के तौर पर जन्म मिलता है।

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