बेटी बनी बेटा , पिता की मौत के बाद दिया बॉडी को कंधा

कासगंज: बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है, यह किसी पोस्टर पर लिखा वाक्य नहीं बल्कि यह यथार्थ है. वहीं कासगंज में एक बेटी ने अपने पिता की मौत हो जाने के बाद उनकी अंतिम क्रिया अपने हाथों से संपन्न की. गंगाघाट जाकर अंतिम संस्कार किया. बेटे का फर्ज निभाकर बेटी ने बेटा और बेटी के अंतर को मिटा दिया. कासगंज के एसजेएस इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य आरके पाठक का बीमारी के चलते अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. उनके केवल एक ही बेटी भावना पाठक है. जिसकी पिछले माह ही 17 जनवरी 2020 को बदायूं से शादी हुई है. जंहा यह भी कहा जा रहा है कि पिता के बीमार होने पर भावना चिकित्सालय में रही. विगत रात आरके पाठक का शव कासगंज लाया गया. उसके बाद बुधवार को उनकी शवयात्रा निकली और कछला गंगाघाट जाकर भावना ने पिता की चिता को मुखाग्रि दी. यह देखकर सभी लोग बेटी के हौसले को सलाम करते नजर आ रहे थे. कछला गंगाघाट पर लोगों के बीच यही चर्चा थी कि बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं होना चाहिए. 

आपकी जानकारी एक लिए हम आपको बता दें कि भावना का कहना है कि पिता ने उन्हें हमेशा लाड़ प्यार से पाला. वह मुझे ही अपना बेटा मानते थे. मेरे मन में हमेशा माता पिता की सेवा करने की भावना थी. आज पिता के निधन पर उनका अंतिम संस्कार स्वयं किया और मोक्ष की कामना की. पिता को खोने का मुझे बहुत गम है. आज के समय में बेटे और बेटी में अंतर करना गलत है. बेटियां होनहार हैं और वह सबकुछ करने का जज्बा रखती हैं. भावना में पिता का अंतिम संस्कार करके समाज को संदेश दिया है और बेटे और बेटी के अंतर को मिटाया है.

वहीं यह भी पता चला है कि आरके पाठक की पत्नी और भावना की मां राजकुमारी पाठक ने कहती हैं भावना मेरी बहुत अच्छी बेटी है. वो हम सब का बहुत ख्याल रखती है. पिता के निधन के बाद से उसने बेटे की तरह अपना संकल्प पूरा किया है. परिवार के लिए यह दुख की घड़ी है, लेकिन बेटी ढांढस बंधा रही है.

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