आजाद भारत में अपनों के ही गुलाम बनने को मजबूर बुजुर्ग

नई दिल्ली। इस 15 अगस्त को भारत की आजादी को 71 साल होने वाले है। इन 71 सालों में भारत ने कई छेत्रों में अविश्वसनीय प्रगति की है। लेकिन इस प्रगति के साथ-साथ देश के नाम कुछ कलंक भी लगे है। ऐसे ही कलंकों में से एक है देश में बुजुर्गो के साथ तेजी से बढ़ते अपराध। 

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हमारा देश शुरू से बहुत धार्मिक और परम्परावादी प्रवत्ति का रहा है और हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी माता-पिता को भगवान की तरह माना गया है। एक वक्त था जब भारत में माता-पिता को सबसे ज्यादा पूज्यनीय माना जाता था और लोग सुबह-सुबह काम पर निकलने से पहले अपने माता-पिता के पैर छू कर ही जाते थे। लेकिन अब देश के हालत काफी बदल चुके है और कई लोग अपने माँ-बाप की सेवा करना तो दूर उल्टा उन्हें प्रताड़ित करते है। हमें आये दिन ऐसी ख़बरें सुनने को मिल जाती है जिसमे बुजुर्गो को अपने ही बच्चो द्वारा घर से निकाले जाने के किस्से होते है। 

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इन सब के साथ-साथ देश में बुजुर्गों पर अपराध भी बहुत तेजी से बढ़ रहे है। इन अपराधों में बुजुर्गो से लूटपाट, ठगी, गंभीर रूप से घायल करने और हत्या करने के मामले भी  शामिल है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्गों के साथ होने वाले अपराधों में देश की राजधानी दिल्ली अव्वल नम्बर पर है। दिल्ली में प्रति एक लाख वरिष्ठ नागरिकों पर अपराध दर 108.8 है। इस मामले में दिल्ली के बाद 60.5 अपराध दर के साथ मध्यप्रदेश दूसरे और 51.6 के साथ छत्तीसगढ़ तीसरे नंबर पर है। 

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