उत्तराखंड में प्रतिदिन निकल रहा लगभग डेढ़ टन कोविड कचरा

देहरादून: सम्पूर्ण देश कोरोना महामारी के कारण ग्रसित है. वही उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ COVID कचरा में भी वृद्धि हो रही है. व्यक्तिगत हॉस्पिटलों को कोरोना का इलाज करने की मंजूरी मिलने से इसका और अधिक बढ़ना निश्चित है. इसी को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी अब उन व्यवसायों की खोजबीन प्रारम्भ कर दी है. जिनके यहां इंसीनरेटर (भस्मीकरण) लगे हुए हैं. 

साथ ही बोर्ड ने निर्देश जारी कर क्षेत्रीय अधिकारियों से कहा है कि वे 15 दिन में उन व्यवसायों का पता लगाए जिनके यहां इंसीनरेटर हैं. इस वक़्त राज्य में तीन स्थानों पर ही कोरोना कचरे को उचित ढंग से निपटाने की व्यवस्था है. एक हल्द्वानी, दूसरा रुद्रपुर और तीसरा रुड़की में हैं. दो कंपनियां इस कार्य को कर रही है. दरअसल दो कंपनियों को ही राज्य में बायो मेडिकल वेस्ट को निपटाने का अधिकार प्रदान किया गया है. ये कंपनियां ही अलग व्यवस्था के तहत कोविड वेस्ट को निपटाती हैं. 

माना ये भी जा रहा है कि सरकार अभी उन हॉस्पिटलों की लिस्ट जारी करेगी, जिन्हें कोरोना के उपचार की जिम्मेदारी दी जाएगी. ऐसा हुआ तो कोरोना कचरा इकट्ठा कर रही कंपनियों को भी सरलता हो जाएगी. बता दे की प्रतिदिन 1.35 टन कोरोना कचरा राज्य में कार्य कर रही दो कंपनियां उठा रही हैं. इस कचरे को हल्द्वानी में लगे भस्मीकरण को भेजा जा रहा है. जबकि .15 टन (150 किलो) कोरोना कचरा दुर्गम क्षेत्रो से इंसीनरेटर तक नहीं पहुंच रहा है. इसलिए उसे भूमि के भीतर गहराई में दबाया जा रहा है. 

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