PM प्रचंड के 'भारत समर्थक' होने से चीन - नेपाल के सम्बन्ध बिगड़े

बीजिंग : नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड इस हफ्ते चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं.लेकिन उनकी यात्रा से पहले ही यहां का सरकारी मीडिया उनकी यह कहकर आलोचना कर रहा है कि प्रचंड की 'भारत समर्थक' नीतियों के कारण दोनों देशों के सम्बन्ध निचले स्तर पर आ गए हैं.

इस बारे में सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' लिखता है कि कुछ समय तक प्रधानमंत्री और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) के प्रमुख प्रचंड का चीन के प्रति मैत्री भाव था. लेकिन पिछले साल अगस्त में दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद प्रचंड दो बार भारत गए और नवंबर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का काठमांडो में गर्मजोशी से स्वागत किया.लेख के अनुसार प्रचंड की भारत समर्थक विदेश नीति के कारण चीन-नेपाल के संबंध निचले स्तर पर चले गए हैं. हालांकि चीन यात्रा के दौरान प्रचंड की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी मिलने की उम्मीद है.बता दें कि प्रचंड 23 मार्च से चीन का पांच दिन का दौरा शुरू करेंगे और इस दौरान बोआओ फोरम फोर एशिया के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

सच तो यह है कि ओली का प्रधानमंत्री पद से हटना चीन के लिए गहरी निराशा की बात थी, क्योंकि उसे तिब्बत के रास्ते नेपाल को अपने रेल एवं सड़क मार्ग से जोड़ने तथाअपना प्रभाव का विस्तार करने की योजना को बड़ा झटका लगा था. चीन का मत है कि प्रचंड ने भारत के प्रभाव में आकर ओली सरकार गिराई. नेपाल अपनी सभी आपूर्तियों के लिए भारत पर निर्भर है.इसीलिए चीन नेपाल से नाराज चल रहा है.

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