पितृ पक्ष के दौरान करें इन मंत्रों का जाप, दूर होगी हर बाधा

पितृ पक्ष या श्राद्ध की शुरुआत इस बार 29 सितंबर से हो गई है तथा इसका समापन 14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा। सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या एवं पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है तथा यही पितृ पक्ष का अंतिम दिन भी होता है। वही सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। वही पितृ के अप्रसन्न रहने पर जातक को जीवन में ढेर सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आर्थिक स्थिति बदहाल हो जाती है। अकस्मात अनहोनी का खतरा बढ़ जाता है। अतः पितरों का प्रसन्न रहना बहुत आवश्यक है। यदि आप भी पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पितृ पक्ष के चलते इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।

पितृ के मंत्र 1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ 2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात। 3. ॐ पितृ देवतायै नम:। 4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्। 5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: 6. पितृ गायत्री मंत्र ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:। ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्। 7. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

पितृ कवच कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन। तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥ तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः। तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥ प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः। यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥ उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते। यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥ ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने। अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

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