'भगवा आतंकवाद' की सच्चाई उजागर करती किताब 'आतंक से समझौता'

नई दिल्ली: मालेगांव बम धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा को लोकसभा चुनाव में भोपाल लोकसभा सीट से दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी संग्राम में उतारकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भगवा आतंकवाद पर बहस को सियासत के केंद्र में ला दिया है। स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी ने मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में इसे कांग्रेस द्वारा भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ने और साजिश कर निर्दोष लोगों को फंसाने के खिलाफ लड़ाई का सिंबल करार दिया है। 

ऐसे समय में वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्रवीण तिवारी की किताब 'आतंक से समझौता' उस कथित षड्यंत्र को बेनकाब करने का दावा करती है जो लेखक के अनुसार भगवा आतंकवाद की उपस्थिति साबित करने के लिए रची गई और साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद और कर्नल प्रसाद पुरोहित जैसे लोग इसका शिकार हुए। ब्लुम्सबरी द्वारा प्रकाशित की गई लगभग तीन सौ पन्नों की इस किताब में समझौता ब्लास्ट, मालेगांव ब्लास्ट, अजमेर धमाके, मक्का मस्जिद ब्लास्ट की जांच से सम्बंधित लोगों, आरोपियों के अदालत में पेश किए गए हलफनामों, उनके वकीलों के दावों और विभिन्न मौके पर राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की तरफ से आए बयानों की कड़ियां जोड़ कर ये साबित करने का प्रयास किया गया है कि भगवा आतंकवाद शब्द एक षड्यंत्र था, जिसे राजनीतिक लाभ के लिए सोची समझी रणनीति के तहत उछाला गया और जिसमे  हिंदूवादी संगठन और संघ-भाजपा के दिग्गज नेताओं को लक्षित किया गया था।

किताब में तथ्यों, दावों के अलावा विभिन्न लोगों से हुई बातचीत और एनआईए की जांच की जद में आए विभिन्न किरदारों, उन पर लगे आरोप और उन आरोपों के आधार पर विस्तार से बताया गया है। किताब में कई दिलचस्प प्रसंग हैं जिनमें एक एनआईए के उस एजेंट से मिलने और वार्ता करने का भी है जिसने समझौता और मालेगांव धमाके की जांच में कई महत्वपूर्ण ठिकानों यहां तक कि असीमानंद का आश्रम और भाजपा के कार्यालय तक में जासूसी की थी।

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