बच्चों की तस्करी रोकने के लिए ध्यान देना जरुरी

बच्चों की तस्करी के मामले में राज्य की छवि खराब है. प्रदेश में दुकानों, भट्टियों, मंडियों और कारखानों सहित अन्य जगहों पर बच्चो के काम करने की संख्या अन्य राज्यों के मुकाबले में अधिक है.  बच्चों की तस्करी के मामले में देश-विदेश में प्रदेश की नकारात्मक छवि बन रही है. ये बात इसलिए भी गंभीर है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों के हाथ में किताब होना चाहिए उस उम्र में ये बच्चे मजदूरी करने के लिए विवश हो रहे है.    

इस मामले पर बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष का कहना है कि सरकारी अधिकारी आयोग को बहुत हल्के में लेते हैं. मीटिंग बुलाने पर उसमें शामिल होना जरूरी नहीं समझते.  केंद्र और  राज्य स्तर पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग एक संवैधानिक संस्था के रूप में काम कर रही है.  बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए आयोग  राज्य और केंद्र सरकारों को सुझाव भी देता है.

बच्चों के हितों कि रक्षा करने के लिए  बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मानवाधिकार आयोग, बाल श्रम आयोग, महिला बाल विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग जैसे कई विभाग काम कर रहे है. राज्य को इस दिशा में अच्छी स्थिति बनाने के लिए इस सब विभागों को मिल कर काम करने किआवश्यकता है. अगर इस ओर और अधिक ध्यान दिया जाए तो इस स्थिति में सुधर हो सकता है. प्रशासन को ये भी ध्यान देना चाहिए  तस्करी के बाद छुड़ाए जा रहे बच्चों को किस मुख्य धारा से जोड़ा जाए. 

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