9 संतानों के पिता थे भोलेनाथ, आइए जानते हैं सभी के बारे में

बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि भगवान शिव के कुल 9 संतानें थी. जी हाँ, इन सभी में एक पुत्री और 8 पुत्र शामिल थे. कहा जाता है उनमें से कुछ गोद ली हुई और कुछ की उत्पत्ति चमत्कारिक तरीके से हुई थी जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आइए फिलहाल जानते हैं भगवान शिव की पत्नियां कौन थीं.

कहा जाता है भगवान शिव की पहली पत्नी राजा दक्ष की पुत्री सती थीं और सती ने जब यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी थी तो बाद में उन्होंने ही हिमवान और हेमावती के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया और फिर शिवजी से विवाह किया. इसी के साथ कहते हैं शिव भगवान की तीसरी पत्नी काली, चौथी उमा और पांचवीं गंगा माता का नाम लिया जाता है. वहीं पार्वती जी के ही दो पुत्र और एक पुत्री हुई और उनके पहले पुत्र का नाम कार्तिकेय और दूसरे का नाम गणेश रखा गया. आइए जानते हैं अब सभी बच्चों के बारे में.

1.कार्तिकेय: : कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, मुरुगन और स्कंद भी कहते हैं.

2. गणेश: : पुराणों में गणेशजी की उत्पत्ति की विरोधाभासी कथाएं मिलती हैं. इनकी पूजा सबसे पहले होती है.

3. सुकेश : शिव का एक तीसरा पुत्र था जिसका नाम था सुकेश. इसकी कहानी कुछ यूँ हैं कि दो राक्षस भाई थे : 'हेति' और 'प्रहेति'. प्रहेति धर्मात्मा हो गया और हेति ने राजपाट संभालकर अपने साम्राज्य विस्तार हेतु 'काल' की पुत्री 'भया' से विवाह किया. भया से उसके विद्युत्केश नामक एक पुत्र का जन्म हुआ. विद्युत्केश का विवाह संध्या की पुत्री 'सालकटंकटा' से हुआ. माना जाता है कि 'सालकटंकटा' व्यभिचारिणी थी. इस कारण जब उसका पुत्र जन्मा तो उसे लावारिस छोड़ दिया गया. विद्युत्केश ने भी उस पुत्र की यह जानकर कोई परवाह नहीं की कि यह न मालूम किसका पुत्र है. पुराणों के अनुसार भगवान शिव और मां पार्वती की उस अनाथ बालक पर नजर पड़ी और उन्होंने उसको सुरक्षा प्रदान ‍की. इसका नाम उन्होंने सुकेश रखा. इस सुकेश से ही राक्षसों का कुल चला.

4. जलंधर : शिवजी का एक चौथा पुत्र था जिसका नाम था जलंधर. कहते हैं श्रीमद्मदेवी भागवत पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया इससे जलंधर उत्पन्न हुआ. माना जाता है कि जलंधर में अपार शक्ति थी और उसकी शक्ति का कारण थी उसकी पत्नी वृंदा. वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण सभी देवी-देवता मिलकर भी जलंधर को पराजित नहीं कर पा रहे थे. जलंधर ने विष्णु को परास्त कर देवी लक्ष्मी को विष्णु से छीन लेने की योजना बनाई थी. तब विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत धर्म खंडित कर दिया. वृंदा का पतिव्रत धर्म टूट गया और शिव ने जलंधर का वध कर दिया.

5. अयप्पा : भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं. कहा जाता है विष्णु का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था. उनके वीर्य को पारद कहा गया और उनके वीर्य से ही बाद में सस्तव नामक पुत्र का जन्म का हुआ जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया. शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण उनको 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है. भारतीय राज्य केरल में शबरीमलई में अयप्पा स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां विश्‍वभर से लोग शिव के इस पुत्र के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है. इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं.

6. भूमा : कहते हैं एक समय जब कैलाश पर्वत पर भगवान शिव समाधि में ध्यान लगाये बैठे थे, उस समय उनके ललाट से तीन पसीने की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं. इन बूंदों से पृथ्वी ने एक सुंदर और प्यारे बालक को जन्म दिया, जिसके चार भुजाएं थीं और वय रक्त वर्ण का था. इस पुत्र को पृथ्वी ने पालन पोषण करना शुरु किया. तभी भूमि का पुत्र होने के कारण यह भौम कहलाया. कुछ बड़ा होने पर मंगल काशी पहुंचा और भगवान शिव की कड़ी तपस्या की. तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे मंगल लोक प्रदान किया.

7.अंधक : अंधक नामक भी एक पुत्र बताया जाता है लेकिन उसके उल्लेख कम हुआ है.

8.खुजा : पौराणिक वर्णन के अनुसार खुजा धरती से तेज किरणों की तरह निकले थे और सीधा आकाश की ओर चले गए थे.

9. अशोक सुंदरी: माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को खत्म करने के लिए ही इस पुत्री का निर्माण किया था. 

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