आखिर अरविंद केजरीवाल ने 'कांग्रेस' को आँखें दिखा ही दी, विपक्षी एकता से पहले दे दिया बड़ा अल्टीमेटम !

नई दिल्ली: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने 23 जून यानी कल शुक्रवार को पटना में तमाम विपक्षी पार्टियों की महाबैठक बुलाई है। लेकिन, इस मीटिंग से एक दिन पहले ही विपक्षी एकता में फूट पड़ती नज़र आ रही है। दरअसल, दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया है। AAP का कहना है कि यदि दिल्ली अध्यादेश मामले पर कांग्रेस उसे समर्थन नहीं देती, तो पार्टी विपक्षी बैठक का बहिष्कार करेगी। ये दावा सूत्रों के हवाले से किया जा रहा है, हालांकि, केजरीवाल शुरू से अध्यादेश पर कांग्रेस से समर्थन तो मांगते रहे हैं, लेकिन बहिष्कार को लेकर उन्होंने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। 

दरअसल, केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच काफी समय से अधिकारों को लेकर जंग चल रही है। दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसमें निर्वाचित सरकार को अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दे दिया गया था। जिसके बाद केंद्र सरकार 'राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण' का अध्यादेश लेकर आ गई थी। इस अध्यादेश के आने के बाद से केजरीवाल पूरे देश में घूम-घूमकर विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं और अध्यादेश पर उनका समर्थन मांग कर रहे हैं। 

इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए छह माह में संसद से पारित कराना जरूरी है। केंद्र सरकार बहुमत होने के कारण, लोकसभा में इसे आसानी से पास करा लेगी। मगर, केजरीवाल को उम्मीद है कि यदि राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां साथ आ गईं तो नंबर गेम में भाजपा को हराया जा सकता है।

अध्यादेश का विरोध क्यों कर रहे हैं केजरीवाल, कांग्रेस ने बताया था कारण :-

बता दें कि, 11 मई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसफर-पोस्टिंग सहित सेवा मामलों से जुड़े सभी कामकाज पर दिल्ली सरकार का कंट्रोल बताया था। वहीं, जमीन, पुलिस, और पब्लिक ऑर्डर के अलावा सभी विभागों के अफसरों पर केंद्र सरकार को कंट्रोल दिया गया था। ये पॉवर मिलते ही, केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सचिवालय में स्पेशल सेक्रेट्री विजिलेंस के आधिकारिक चैंबर 403 और 404 को सील करने का फरमान सुना दिया और    विजिलेंस अधिकारी राजशेखर को उनके पद से हटा दिया था। लेकिन, केंद्र सरकार अध्यादेश ले आई और फिर राजशेखर को अपना पद वापस मिल गया। इसके बाद पता चला कि, दिल्ली शराब घोटाला और सीएम केजरीवाल के बंगले पर खर्च हुए करोड़ों रुपए की जांच राजशेखर ही कर रहे थे। राजशेखर को पद से हटाए जाने के बाद उनके दफ्तर में रखी फाइलों से छेड़छाड़ किए जाने की बात भी सामने आई थी। एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमे राजशेखर के दफ्तर में आधी रात को 2-3 लोग फाइलें खंगालते हुए देखे गए थे।  ऐसे में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और अजय माकन द्वारा कहा जा रहा है कि, केजरीवाल इस अध्यादेश का विरोध दिल्ली की जनता के लिए नहीं, बल्कि खुद को बचाने के लिए कर रहे हैं। अजय माकन का तो यहाँ तक कहना है कि, अध्यादेश पर केजरीवाल का साथ देना यानी नेहरू, आंबेडकर, सरदार पटेल जैसे लोगों के विचारों का विरोध करना है, जिन्होंने कहा था कि, दिल्ली की शक्तियां केंद्र के हाथों में ही होनी चाहिए। माकन तर्क देते हैं कि, कांग्रेस सरकार के समय मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी वह शक्तियां नहीं मिली थी, जो केजरीवाल मांग रहे हैं। साथ ही इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस से केजरीवाल का साथ न देने की अपील की है। 

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