भारत के पूर्व प्रधान मंत्री और भारत रत्न से सम्मानित हो चुके अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती है. अटल जी अब भले ही इस दुनिया में ना हो लेकिन उनके अनमोल वचन हमेशा के लिए अमर रहेंगे. हम आपके लिए आज अटल जी की कुछ खूबसूरत सी कविताएं लेकर आए हैं- दूध में दरार पड़ गई.... ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया? भेद में अभेद खो गया। बँट गये शहीद, गीत कट गए, कलेजे में कटार दड़ गई। दूध में दरार पड़ गई। खेतों में बारूदी गंध, टूट गये नानक के छंद सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है। वसंत से बहार झड़ गई दूध में दरार पड़ गई। अपनी ही छाया से बैर, गले लगने लगे हैं ग़ैर, ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता। बात बनाएँ, बिगड़ गई। दूध में दरार पड़ गई। गीत नहीं गाता हूँ.... बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं, टूटता तिलस्म, आज सच से भय खाता हूँ । गीत नही गाता हूँ । लगी कुछ ऐसी नज़र, बिखरा शीशे सा शहर, अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ । गीत नहीं गाता हूँ । पीठ मे छुरी सा चाँद, राहु गया रेखा फाँद, मुक्ति के क्षणों में बार-बार बँध जाता हूँ । गीत नहीं गाता हूँ । आओ फिर से दिया जलाएँ.... आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें- बुझी हुई बाती सुलगाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िल लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल वतर्मान के मोहजाल में- आने वाला कल न भुलाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ। आहुति बाकी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज़्र बनाने- नव दधीचि हड्डियां गलाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ भारत जमीन का टुकड़ा नहीं.... भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं। पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं। कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है। यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है, यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है। इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है। हम जियेंगे तो इसके लिये मरेंगे तो इसके लिये। बॉलीवुड के इन सितारों के साथ थे अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सम्बन्ध अटल जी के खातिर दिलीप कुमार ने लगाई थी पाक पीएम को फटकार पीएम मोदी ने जारी किया 100 रुपए का सिक्का, छपी होगी पूर्व पीएम अटल बिहारी की तस्वीर