आज़ादी के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में क्रांतिकारियों द्वारा उस वक़्त में अपने-अपने स्तर पर प्रयोग किए जा रहे थे. एक धड़ा था जो याचना और अहिंसा के मार्ग को अपनाकर स्वतंत्रता का स्वप्न देख रहा था, वहीं दूसरी तरफ एक मतवालों का टोला था, जिसका सीधा लक्ष्य था- "पूर्ण स्वराज". बिना किसी शर्त के अंग्रेज हमारे देश को छोड़ कर चले जाएं. बस इससे अधिक वो किसी से कोई बात करने को राजी नहीं थे. इन दो विचारधाराओं ने स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष को दो धड़ों में बांट दिया था- गरम दल और नरम दल और इसी गरम दल के बहादुर सिपाही थे बटुकेश्वर दत्त. Koo App देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करने वाले महान देशभक्त श्री #बटुकेश्वर_दत्त जी की जयंती पर शत-शत नमन। अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने वाले इस वीर सपूत का कृतित्व नौजवानों को राष्ट्रहित में संकल्पित होकर कार्य करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। View attached media content - Om Birla (@ombirlakota) 18 Nov 2021 18 नवम्बर, 1910 को बंगाल के औरी गांव के एक कायस्थ परिवार में जन्में बटुकेश्वर दत्त, देश के उन लोकप्रिय क्रांतिकारियों में शामिल हैं, जिन्हे आज़ादी के बाद भुला दिया गया. बटुकेश्वर दत्त ने 1924 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और कानपुर के पी.पी.एन. कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. इसी दौरान बटुकेश्वर दत्त, शहीद-ए-आज़म भगतसिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद के सम्पर्क में आए और क्रान्तिकारी संगठन ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन’ के मेंबर बन गए. इसके बाद वे आजादी के रंग में ऐसे रंगे की गोरों से लड़ना और बम, बंदूक, गोली उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गए. अब तक बटुकेश्वर, बम बनाने में महारथ हासिल कर चुके थे. बटुकेश्वर दत्त के व्यक्तित्व को पहचान तब मिली, जब वे 8 अप्रैल 1929 को भगतसिंह के साथ ब्रिटिश पार्लियामेंट (दिल्ली) में बम फेंकने के बाद हुई गिरफ्तार हुए. बम ब्लास्ट में गिरफ्तारी हुए बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह को 12 जून 1929 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. जिसके बाद क्रांतिकारियों को लाहौर फोर्ट जेल में डाल दिया गया. 30 अक्टूबर, 1928 को साइमन कमीशन के विरोध में अंग्रेजों की लाठियों से जख्मी होने के बाद 17 नवंबर,1928 को शहीद हुए लाला लाजपत राय की मौत के बदले के रुप में 17 दिसंबर,1928 को भगतसिंह, राजगुरु और सहदेव ने अंग्रेज़ पुलिस के अफसर सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी. नतीजतन जेल में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पर लाहौर षडयंत्र का मुकदमा चलाया गया. जिसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई गई और बटुकेश्वर दत्त को आजीवन यातनाओं को झेलने के लिए कालापानी भेज दिया गया. जहां बटुकेश्वर दत्त को भूख हड़ताल करने के कारण 1937 में वे बांकीपुर सेंट्रल जेल, पटना शिफ्ट कर दिया गया. 1938 में बटुकेश्वर दत्त रिहा तो हो गए, किन्तु बिना आज़ादी के उन्हें चैन कहाँ, वे गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन का हिस्सा बन गए. जिसके बाद उन्हें फिर चार बार की जेल यात्रा करनी पड़ी. Koo App माँ भारती के अमर सपूत, प्रखर राष्ट्रभक्त, भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भगत सिंह के साथ केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट कर बर्बर अंग्रेजी हुकूमत को दहलाने वाले महान क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त जी को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन। View attached media content - Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 18 Nov 2021 बटुकेश्वर का पूरा जीवन स्वतंत्रता के संघर्ष के लिए समर्पित हो चुका था. 1945 में वह जेल से रिहा हुए और 1947 में देश आजाद हो गया. मगर बटुकेश्वर दत्त का संघर्ष अब भी समाप्त नहीं हुआ. आज़ादी के लिए अपना संपूर्ण जीवन काल कोठरी में खपाने वाले इस क्रन्तिकारी के त्याग और समर्पण का ऋण आजाद भारत के लोग नहीं चुका सकें और बटुकेश्वर दत्त स्वतंत्रता के बाद गुमनामी का जिंदगी बसर करने को विवश हो गए. पहले तो किसी काम की खोज में शहर-शहर सड़कों की ख़ाक छानी और जब 1964 में जेल की यातनाओं से बदहाल सेहत और शरीर ने जवाब दे दिया, तो उपचार के लिए भी लाचार हो गए. बाद में पटना के सरकारी अस्पताल में उनकी दयनीय स्थिती को देखते हुए उनके दोस्त चमनलाल आजाद ने एक कटाक्ष भरा पत्र सत्तासीन नेताओं को लिखा, जिसके बाद कहीं दत्त को इलाज के लिए 22 नवंबर 1964 में दिल्ली लाया गया, किन्तु तब तक उनका स्वास्थ्य बहुत गिर चुका था. अपने जीवन के अंतिम दिनों में बटुकेश्वर दत्त ने इच्छा जताई कि, 'मेरा दाह संस्कार मेरे साथी भगत सिंह की समाधि के बगल में किया जाए. 17 जुलाई 1965 को बटुकेश्वर दत्त कोमा में चले गये और 20 जुलाई 1965 की रात एक बजकर 50 मिनट पर मां भारती के इस लाल प्राण त्याग दिए. उनकी इच्छा के मुताबिक, ही भारत-पाक सीमा के पास हुसैनीवाला में भगतसिंह, राजगुरू और सुखदेव की समाधि के निकट बटुकेश्वर दत्त का अंतिम संस्कार किया गया. नए रिकॉर्ड की तरफ बढ़ रहा सोने-चांदी! कीमतों में आया भारी उछाल, जानिए आज का भाव तेलंगाना की मनायर नदी में डूबे छह बच्चे ब्राजील सभी वयस्कों के लिए Covid-19 बूस्टर शॉट्स खरीदेगा