लाखों भारतीयों के लिए, टीवी शो मालगुड़ी के दिनों में उनके बचपन का एक अपरिवर्तनीय हिस्सा था। प्रतिष्ठित रेलवे स्टेशन, व्यस्त बाजार स्ट्रीट और कालातीत शहर की सादगी, हमारी यादों में शामिल है। इस शो की कहानी, सहज हास्य और जीवनशैली इतनी भरोसेमंद थी कि फैंस किसी भी तरह से ये जानना चाहते थे कि आखिर ये मालगुडी है कहां ? आज उस मालगुडी डेज के रचियता और महान लेखक राशीपुरम कृष्णास्वामी अय्यर नारायणस्वामी यानी आरके नारायण की पुण्यतिथि है। 2001 में आज ही के दिन उन्होंने देहत्याग किया था। मालगुडी डेज़ (1942) के परिचय देते हुए नारायण लिखते हैं, "मुझे अक्सर पूछा जाता है, 'मालगुड़ी कहां है?' मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह काल्पनिक है और किसी भी मानचित्र पर नहीं पाया जा सकता है, अगर मैं समझता हूं कि मालगुड़ी दक्षिण भारत में एक छोटा सा शहर है, तो मैं केवल आधा सच व्यक्त कर रहा हूं, क्योंकि मालगुड़ी की विशेषताएं मुझे सार्वभौमिक लगती हैं।" लेकिन यहां तक कि अगर मालगुड़ी एक काल्पनिक जगह है, तो उसने किसी जगह से प्रेरणा ली होगी? मालगुडियन का आकर्षण, संगठन और जीवनशैली स्पष्ट है। इसके बारे में बताते हुए आर के नारायणन ने कहा था कि इसके पोशाक, स्वर और सामग्री में दक्षिण-भारतीय झलक है, यद्यपि यह एक पूरा देश एक है, वहां विविधताएं हैं, बस उन्हें चित्रित करने में आपको वफादार होना चाहिए। आपको अपनी भूगोल और समाजशास्त्र के संपर्क में रहना होगा। हालांकि यह कथा की दुनिया है, लेकिन फिर भी इसमें कुछ आंतरिक सत्यताएं हैं। मालगुडी की रचना की शुरुआत के बारे में बताते हुए आर के नारायणन ने कहा था कि इसका विचार उन्हें बंगलौर में आया था, उनके शब्दों में ""जब मैं अपनी कलम लेकर कमरे में बैठता था और सोचता था कि क्या लिखना है, उस समय मालगुड़ी अपने छोटे रेलवे स्टेशन के साथ, स्वामीनाथन को लिए मेरे सामने आ जाते थे और सब कुछ मेरी आँखों के सामने तैरने लगता था।" तमिलनाडु कैबिनेट में हुआ बड़ा बदलाव, वित्त मंत्री अब बने IT मिनिस्टर, 4 मंत्रियों के मंत्रालय बदले 'लोकतंत्र ख़त्म हो जाएगा, भारत में एक ही पार्टी की सरकार होगी..', सीएम गहलोत ने भाजपा-RSS पर बोला हमला 'पता नहीं पाकिस्तान बचेगा भी या नहीं..', इमरान की गिरफ़्तारी के बाद भड़की हिंसा से फारूक अब्दुल्ला परेशान!