महात्मा गाँधी के गुरु थे गोपाल कृष्ण गोखले, जातिवाद और छुआछूत के थे खिलाफ

नई दिल्ली: भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपना सर्वस्व समर्पण करने वालों में एक नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। वह नाम है गोपाल कृष्ण गोखले। महान स्वतंत्रता सेनानी गोपालकृष्ण गोखले एक कुशल राजनीतिज्ञ थे। उन्हें महात्मा गांधी का राजनीतिक गुरू भी माना जाता है। गोपालकृष्ण गोखले का जन्म एक सामान्य परिवार में 9 मई 1866 को हुआ था। उनके पिता कृष्णराव एक क्लर्क थे।  

गोपालकृष्ण गोखले ने अपने क्रांतिकारी विचारों से ब्रिटिशों की नाक में दम कर दिया था। प्रोफेसर केके सिंह कहते हैं कि महात्मा गांधी को अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता संग्राम करने की प्रेरणा गोखले से ही मिली थी। उनकी प्रेरणा से महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाया। गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत में हिंदू - मुस्लिम एकता के लिए काफ़ी काम किया, तो जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष किया।

उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को भी बहुत प्रेरित किया लेकिन बाद में जिन्ना भटक गए और भारत के टुकड़े करने के लिए जिम्मेदार माने जाने लगे। गोखले ने पुणे के फग्र्युसन काॅलेज की स्थापना भी की थी। स्वाधीनता के लिए प्रयत्न करने वाले गोपालकृष्ण गोखले का 19 फरवरी को 1915 को देहांत हो गया। 

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