भारत के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रपतियों में शामिल 'भारत रत्न' से सम्मानित प्रणब मुखर्जी की आज 86वीं जयंती है। एक उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ जिसने देश के विकास में अहम योगदान दिया। प्रणब मुखर्जी, भारत के 13वें राष्ट्रपति थे, जिन्होंने यह पद 25 जुलाई, 2012 से लेकर 25 जुलाई, 2017 तक संभाला। भारतीय सियासत में एक अनुभवी चेहरा, जिसने कई दशकों के लंबे और बेहतरीन राजनीतिक करियर के दौरान विभिन्न समय पर विदेश, रक्षा, कमर्शियल और वित्त मंत्री जैसे अहम मंत्रालयों की बागडौर संभाली। वह कांग्रेस के एक दिग्गज नेता थे और 23 वर्षों तक उन्होंने कांग्रेस की कार्य समिति के सदस्य के रूप में काम किया। आज इस महान नेता की जयंती पर सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी श्रद्धांजलि दी है। Koo App भारत के पूर्व राष्ट्रपति, सरल व सहज राजनेता, शुचिता एवं कर्मठता के प्रतीक, ’भारत रत्न’ प्रणब मुखर्जी जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। View attached media content - Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 11 Dec 2021 11 दिसंबर 1935 को जन्मे प्रणब दा के पिता का नाम श्री कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी था। उनका पिता श्री कामदा किंकर मुखर्जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और वह भी काफी समय तक कांग्रेस के मेंबर रहे थे। प्रणब दा ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक और पत्रकार के तौर पर की थी, किन्तु इसके बाद उन्होंने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए सियासत में कदम रखा। उन्हें राजनीति में एक बड़ा ब्रेक उस समय मिला जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हें कांग्रेस से राज्यसभा जाने के लिए चुना। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2012 में उन्होंने भारत के सर्वोच्च पद, भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभाला। देश में उनके योगदान के लिए, 2019 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'भारत रत्न' से नवाज़ा गया। Koo App Humble tribute to the Former President Bharat Ratna Pranab Mukherjee ji on his birth anniversary. View attached media content - Nitin Gadkari (@nitin.gadkari) 11 Dec 2021 राष्ट्रपति के रूप में, प्रणब मुखर्जी ने तक़रीबन 35 दया याचिकाओं को ठुकरा दिया था। यह संख्या उनसे पहले द्वारा खारिज की गई दया याचिकाओं की कुल संख्या से भी अधिक है। जब वह जुलाई 2012 में राष्ट्रपति भवन में पहुंचे, तो वहां पहले से ही 10 याचिकाएं लंबित थीं। उन्होंने जिनकी दया याचिका खारिज की थी, उनमे 26/11 मुंबई हमले में तबाही मचाने वाले आमिर अजमल कसाब, 2001 संसद हमले के अफजल गुरु और निर्भय कांड के दोषी जैसे कुख्यात अपराधी शामिल थे। Punjab Assembly Elections: अरविंद केजरीवाल के निशाने पर चरणजीत सिंह चन्नी चीन के आक्रमण पर कांग्रेस ने लोकसभा में स्थगन नोटिस दिया संसद का शीतकालीन सत्र : भाजपा की बैठक जारी