धर्मान्तरण के आरोपी उमर गौतम को हाई कोर्ट से झटका, नहीं रुकेगी मामले की मीडिया रिपोर्टिंग

नई दिल्ली: धर्मांतरण कराने के आरोपी मौलाना उमर गौतम को उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से उमर गौतम को कोई राहत नहीं मिली. उच्च न्यायालय ने उमर गौतम के मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाए जाने की मांग को ख़ारिज कर दिया है. उच्च न्यायालय की डिवीजन पीठ ने उमर गौतम की याचिका ठुकरा दी है. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मीडिया को रिपोर्टिंग का अधिकार है. मीडिया को बगैर किसी ठोस आधार के किसी मामले में रिपोर्टिंग करने से रोका नहीं जा सकता. उच्च न्यायालय ने उमर गौतम मामले में यूपी पुलिस को भी क्लीन चिट दे दी है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि यूपी पुलिस के प्रेस नोट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था. 20 जून को जारी किए गए प्रेस नोट में कोई गोपनीय व आपत्तिजनक जानकारी नहीं थी, केवल गिरफ्तारी की सूचना और उसके आधार के संबंध में ही जानकारी दी गई थी. उमर गौतम की याचिका पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने 2 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विकास श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया है.

उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के जज, जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसले के तहत भी ऐसे मामलों में सीधे हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. अदालत ने उमर गौतम के वकीलों से पूछा था, मीडिया को मामले की रिपोर्टिंग करने से क्यों रोका जाए? मौलाना उमर गौतम ने मीडिया में अपने विरुद्ध चल रही ख़बरों पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उमर गौतम का आरोप था कि मीडिया गलत रिपोर्टिंग कर रहा है. अदालत का कोई फैसला आए बिना उसका मीडिया ट्रायल किया जा रहा है. उमर गौतम ने मीडिया पर सरकार के दबाव में गलत रिपोर्टिंग करते हुए बदनाम करने का भी आरोप लगाया था.

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