अब क्या कर सकते है मुलायम, जानिए ये पांच विकल्प

लखनऊ : जैसे कि पहले ही संभावनाएं जताई जा रही थी कि चुनाव आयोग में सीएम अखिलेश यादव का पक्ष मजबूत है, इसलिए चुनाव आयोग का फैसला उनके ही पक्ष में जाएगा, आखिर वैसा ही हुआ. चुनाव आयोग ने साईकिल चुनाव चिन्ह पर अखिलेश का हक़ जताया. चुनाव आयोग का फैसला आते ही एक ओर जहां अखिलेश खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई तो दूसरी ओर मुलायम खेमा मायूस नजर आया. फैसला आने के तुरंत बाद अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम से मिलने गए और आशीर्वाद लिया.

अब इन बदली हुई परिस्थितियों में मुलायम सिंह क्या करेंगे यह सवाल सभी की जिज्ञासा का विषय बन गया है कि अब मुलायम और शिवपाल क्या करेंगे. उनके पास क्या विकल्प है. आइये उन पर नजर डालते हैं. सबसे पहला विकल्प है कि वे चुनाव आयोग का फैसला मान लें और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अपने बेटे अखिलेश यादव को आशीर्वाद देकर आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन में दिए गए नए पद 'पार्टी संरक्षक' की जिम्मेदारी संभालें. दूसरा विकल्प है कि चुनाव चिह्न साइकिल पर अपना दावा पेश करने के लिए नेताजी चाहें तो कोर्ट मे चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दे सकते हैं, लेकिन मंगलवार से पहले चरण की अधिसूचना जारी हो रही है ऐसे में मुलायम को इससे कोई तात्कालिक राहत नहीं मिलेगी.

मुलायम सिंह के सामने तीसरा विकल्प यह है कि अगर मुलायम को अपने खेमे के साथ चुनावी मैदान में उतरना है तो मुलायम को अब नई पार्टी और चुनाव चिह्न के लिए चुनाव आयोग में गुहार लगानी होगी, लेकिन इस कोशिश से दोनों पक्षों को चुनाव में नुकसान होगा. उधर सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव के पास अंतिम विकल्प अब केन्द्रीय राजनीति में जाने का ही बचा है.

देखा जाए तो चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब मुलायम और शिवपाल के पास आखिरी विकल्प के तौर पर युवा पीढ़ी को उत्तराधिकार सौंपने का रास्ता बचा हुआ है. मुलायम को अखिलेश पहले ही पार्टी का संरक्षक बना चुके हैं. अब शिवपाल यादव को भी अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर सीट से अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़वाना चाहिए.

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