'ज्ञानवापी हमारी है..', पूजा स्थल कानून ही हिन्दुओं की जीत का आधार बनेगा.., बोले वकील हरिशंकर जैन

नई दिल्ली: वाराणसी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे समेत हिंदुओं के दर्जनों के मुक़दमे लड़ चुके वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि जिस पूजा स्थल कानून के आधार पर मुस्लिम पक्ष सुनवाई रोकने की माँग कर रहा है, वही कानून हिंदुओं की जीत का रास्ता बनेगा। जैन ने कहा कि विवादित परिसर में शिवलिंग का पाया जाना, इस बात को स्पष्ट करता है कि वहाँ पहले मंदिर था और उसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। इसलिए इस मस्जिद को ध्वस्त किया जाना चाहिए और मंदिर हिंदुओं को सौंप दिया जाना चाहिए।

हरिशंकर जैन ने कहा कि तहखाने के बीचों-बीच आदि विश्वेश्वर की जगह है और शिवलिंग पहले यहीं स्थापित था। उन्होंने कहा कि मस्जिद अब भी पुराने मंदिर की बुनियाद पर खड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि मंदिर को तोड़कर उस पर जबरन कब्जा किया गया और उसके बाद वहाँ नमाज पढ़ी जाने लगी। वकील ने आगे कहा कि विवादित ढाँचा परिसर की वीडियोग्राफी पूरी हो चुकी है। इसी वीडियोग्राफी के आधार पर शिवलिंग की भी वैज्ञानिक जाँच हो जाएगी और जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं, उनकी भी जुबान बंद हो जाएगी।

बता दें कि हरिशंकर जैन बिना फीस लिए 1989 से हिंदुओं के मुक़दमे लड़ रहे हैं। बीते 33 वर्षों में वे 110 मुक़दमे लड़ चुके हैं। इनमें ज्ञानवापी, कुतुब मीनार, ताजमहल, मथुरा, टीले वाली मस्जिद और भोजशाला समेत 7 बड़े मामले शामिल हैं। उनका साथ उनके वकील बेटे विष्णु जैन देते हैं। उन्होंने कहा कि देश में जहाँ-जहाँ मंदिर तोड़े गए हैं और जिसके सबूत मौजूद हैं, वे उन सबकी लड़ाई लड़ेंगे। मीडिया से बात करते हुए हरिशंकर जैन ने कहा कि जिस मामले में पुख्ता प्रमाण मौजूद नहीं हैं, वे उसका मुकदमा ही नहीं लड़ते हैं। 

दिल्ली के कुतुब मीनार मामले में उन्होंने कहा कि यहाँ 27 हिंदू-जैन मंदिरों को ध्वस्त कर उनके मलबे से मस्जिद बनाई गई है। इस मस्जिद का नाम कुव्वत-उल-इस्लाम रखा गया, यानी इस्लाम की ताकत। जैन ने कहा कि वह मस्जिद नहीं, इस्लाम की ताकत का प्रतीक है कि देखो हिंदुओं हम तुम्हारे मंदिर तोड़ सकते हैं। इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि इस मस्जिद को 27 मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है। वकील ने कहा कि हिंदुओं के लिए सारे मुक़दमे वे अपने खर्च पर लड़ते हैं। उनकी कमाई का आधा पैसा, मुकदमेबाज़ी में ही चला जाता है। जैन बताते हैं कि उनके पीछे न कोई संगठन है और न ही वे किसी से डोनेशन लेते हैं। यहाँ तक कि जैन अपनी सुरक्षा की भी माँग नहीं करते, क्योंकि यह एक प्रकार का स्टेटस सिंबल है और उन्हें यह पसंद नहीं है।

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