गृहस्थ जीवन जीने वाले, जानिए राम कथा के बारे में

गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कुछ ऐसी बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है, जिससे उनका जीवन सुखद रूप से व्यतीत हो आपसी ताल मेल बना रहे. पति-पत्नी के रिश्ते के बीच तनाव की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब वे अपने आप को ही अधिक महत्व देने लगते हैं. पति खुद को श्रेष्ठ व स्त्री भी खुद को श्रेष्ट समझने लगती है. इसी से दोनों के बीच दरार सी उत्पन्न हो जाती है.

वैवाहिक जीवन में एक-दूसरे के प्रति समर्पण भाव का होना बहुत ही जरूरी है। समर्पण यानी खुद की सुख-सुविधाओं को नहीं, बल्कि जीवन साथी के सुख को महत्व देना उचित होता है. और जब पति पत्नी के बीच समर्पण की कमी होती है तभी उनके बीच प्रेम खत्म हो जाता है. मानव को कर्म कांडों से अवगत करने के लिए भगवन ने भी इस पृथ्वी लोक में अवतार लिया था. रामायण के माध्यम से श्रीराम और सीता का एक-दूसरे के प्रति पूरी तरह समर्पण भाव बताया गया है. इसी वजह से इनके वैवाहिक जीवन को आदर्श माना जाता है.

इस गृहस्थ जीवन को व्यतीत करने वाले व्यक्ति को आपसी समञ्जस बनाकर रहना चाहिए. यदि पति को कोई समस्या है तो पत्नी उसका साथ दे और यदि पत्नी को कोई समस्या है तो पति उसका साथ दे उसका साथ निभाए यही आपसी ताल मेल होना चाहिए जरा जरा सी बातों में उलझना, अशांति उत्पन्न करना इन सबका आपके जीवन में गलत प्रभाव पड़ता है.

 

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