धर्म और मजहब की जंग

हम सब भारत वासी है 
पास में गंगा काशी है 
इस भारत माता को 
समर्पित जीवन बाकी है 
 
मजहब की है जंग यहा
और धर्म की लड़ाई है 
किसने आखो पर पट्टी चढ़ाई 
किसने अहिष्णुता फैलाई है 
 
हिन्दू मुस्लिम के दंगे में 
भारत ने रंगत गवाई है 
बेगुनाहो का खून यहा 
धर्म और मजहब ने बहाई है 
राजनीती वाले खेलो ने 
कितने आग लगाई है 
 
अंधकार से निकलो उजालो में आओ 
बनकर बादल की घटाओ में छाओ
तब होगा अपने देश का भला 
तब जाकर टलेगा कोई बला 
 
मजहब की है जंग यहा
और धर्म की लड़ाई है 
किसने आखो पर पट्टी चढ़ाई 
किसने अहिष्णुता फैलाई है 
 

कलम से आग उगलने वाला नाम - रामधारी सिंह दिनकर

 

प्रद्युम्न की किलकारियां सहम जाने पर, प्रसून जोशी ने अपनी कविता के जरिये बयां की सच्चाई

 

अद्भुत हैं महादेवी वर्मा की स्मृति की रेखाऐं

 

 

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