आंदोलन में अब तक 228 की मौत, किसान बोले- और कितना बलिदान चाहिए

नई दिल्ली: पिछले 77 दिनों से दिल्ली की सरहदों पर डटे किसान संगठनों ने कहा कि रोटी को तिजोरी में बन्द नही होने देंगे और न ही भूख का कारोबार होने देंगे। किसान नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की किसान विरोधी और कॉरपोरेट के हक में है। इस बात से भी सरकार की मंशा जाहिर हो जाती है कि पहले बड़े बड़े गोदाम बनाए गए, फिर कानून लाए गए।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार ने संसद में जवाब दिया कि किसान आंदोलन के दौरान मृतकों को मदद देने पर विचार नहीं किया जा रहा है। गुरुवार को संसद में जब किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही थी, भाजपा और सहयोगी दलों के सासंदों ने असंवेदनशीलता दिखाई। मोर्चा ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि अब तक 228 किसानों की जान जा चुकी है। उन्होंने सवाल पूछा कि सरकार को और कितने किसानों का बलिदान चाहिए। 13 फरवरी को कर्नाटक राज्य रैता संघ के संस्थापक और अग्रणी किसान नेता प्रो नंजुंदस्वामी की जयंती के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रगतिशील और न्यायसंगत समाज की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की बात कही।

सिंघु बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के दौरान यूथ फ़ॉर स्वराज की तरफ से मजदूर नेता नवदीप कौर की फ़ौरन रिहाई की मांग की गई है। सदस्यों ने इस मांग के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया। उन्होंने कौर के खिलाफ हुए शोषण और हिंसा की निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग भी की। इस अवसर पर भारी तादाद में लोगों ने नवदीप कौर की रिहाई के समर्थन में अभियान में शामिल हुए।

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