'1300 मस्जिदें बंद, कई जमींदोज़, इस्लाम को ख़त्म करने की कोशिश..', क्या 'चीन' के खिलाफ कोई कदम उठाएंगे 57 मुस्लिम देश ?

बीजिंग: चीन ने शिनजियांग के बाद देश की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले निंगजिया और गांसु प्रांतों में सैकड़ों मस्जिदों को बंद करने और उनमें बदलाव करने के लिए कदम उठा लिया है। धार्मिक अल्पसंख्यकों का 'चीनीकरण' करने के उद्देश्य से उठाए गए इस कदम ने ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) का ध्यान आकर्षित किया है, जो इन क्षेत्रों में मस्जिदों की तादाद में अचानक कमी का संकेत देता है। 2016 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पदभार संभालने के बाद से मुस्लिमों के खिलाफ जारी कार्रवाइयां अप्रैल 2018 में एक आदेश जारी होने के बाद से तेज हो गई हैं, जिसमें मस्जिदों को ध्वस्त करने और उनके निर्माण की गति में कमी लाने का आह्वान किया गया है।

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2021 तक की सैटेलाइट तस्वीरों से कई मस्जिदों में गुंबदों और मीनारों की अनुपस्थिति का पता चला है, जिनमें से कुछ मस्जिदें पूरी तरह से ध्वस्त कर दी गईं हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अकेले निंगजिया प्रांत में 1,300 मस्जिदें बंद कर दी गई हैं। बता दें कि, 2019 में, झोंगवेई में 214 मस्जिदों को बंद कर दिया गया था, 58 का स्वरुप बदल (मीनारें-गुंबद हटा दिए गए) दिया गया, और 37 को अवैध बताकर प्रतिबंधित कर दिया गया, जो इस्लामी उपस्थिति को कम करने के व्यवस्थित प्रयासों का संकेत देता है। HRW दावा है कि चीन में इस्लाम को व्यवस्थित रूप से खत्म किया जा रहा है, जबकि बाहरी तौर पर चीनी सरकार कट्टरपंथ को निशाना बनाते हुए कानूनी सीमाओं के भीतर धार्मिक स्वतंत्रता की अनुमति देने का दावा करती है।

 

चीन की इन मुस्लिम विरोधी कार्रवाइयों को देखते हुए सवाल यह उठता है कि, क्या मुस्लिम राष्ट्र विश्व स्तर पर चीन की कार्रवाइयों का जवाब देंगे जैसा कि उन्होंने इज़राइल जैसे मामलों में दिया था? क्या चीन में मुसलमानों के खिलाफ अत्याचारों को संबोधित करने के लिए 57 मुस्लिम देशों को शामिल करते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक हो सकती है? क्या पाकिस्तान और कतर जैसे देशों को चीन के खिलाफ कार्रवाई करने की सामूहिक ताकत मिलेगी? चीन में मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता के भविष्य पर बढ़ती चिंताओं पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय तो बारीकी से नजर रख रहा है, लेकिन मुस्लिम देशों और मुस्लिम धर्मगुरुओं की चुप्पी कई तरह के सवाल खड़े करती है।

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