युवकों में जाग रही है 'कमाने' की भावना
युवकों में जाग रही है 'कमाने' की भावना
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पॉकेटमनी का जुगाड़ किशोर-किशोरियों के लिए हमेशा ही एक समस्या बनी रहती है। महीने के शुरुआती दिनों में जेब गर्म जरूर होती है लेकिन पंद्रह तारीख आते-आते ही वह पूरी तरह ठंडी हो जाती है। फिर आधा महीना इससे और उससे उधार मांग कर ही काम चलाना पड़ता है। यह सिलसिला किशोर-किशोरियों के लिए मुश्किलों से भरा होता है। लेकिन कुछ युवक-युवतियां इन समस्याओं से निपटने के लिए अपने पॉकेट मनी का खुद इंतजाम कर लेते हैं।

अगर आप भी पॉकेट मनी की समस्या से जूझ रहे हैं तो इनके रास्ते पर चलने की कोशिश करने की जरूरत है। हाल ही में एक सर्वे कंपनी ने देश भर के 3 हजार किशोर किशोरियों की पॉकेट मनी और जेब खर्च पर सर्वे किया। उसमें यह तथ्य सामने आया कि 71 प्रतिशत युवक-युवतियों को 1000 से कम और 39 फीसदी को 500 रुपए से कम जेब खर्च प्रति माह मिलते हैं। सिर्फ 10 प्रतिशत ही ऐसे भाग्यशाली युवक हैं जिन्हें 2000 हजार प्रतिमाह मिलते हैं।

इस सर्वे के दौरान ये तथ्य भी सामने आया कि किशोर-किशोरियां अपनी पॉकेट मनी का सबसे बड़ा हिस्सा 27.45 प्रतिशत खाने-पीने पर, 27.19 प्रतिशत मनोरंजन, 23.13 फीसदी कपड़ों और श्रृंगार प्रसाधन पर खर्च करते हैं। सर्वे में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला तथ्य यह रहा है कि नई पीढ़ी के लोग अपना 7.78 प्रतिशत पैसा किताबों और पत्र-पत्रिकाओं पर खर्च करते हैं और शेष 14.45 फीसदी पैसा गीत और संगीत पर जाता है।

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